उत्तर भारत में इस वक्त प्रचंड गर्मी पड़ रही है. पारा 40 के पार है. भीषण गर्मी से लोगों की मौत भी हो रही है. लेकिन पृथ्वी के ही पड़ोस में एक ऐसा ग्रह है जहां का तापमान कई बार 575 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है. इससे भी बड़ी बात कि यहां तेजाब की बारिश होती है. चलिए आपको इस ग्रह के बारे में बताते हैं. इसके साथ ही आपको ये भी बताते हैं कि यहां एक समय में क्या सच में जीवन था.
कौन सा है ये ग्रह
हम जिस ग्रह की बात कर रहे हैं वो शुक्र है. इसे अंग्रेजी में आप वीनस के नाम से जानते होंगे. इस ग्रह का आकार भी कुछ-कुछ हमारी पृथ्वी जैसा है. लेकिन यहां का वायुमंडल हमारी पृथ्वी से बिल्कुल विपरीत है. मौजूदा वक्त में यहां जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती. लेकिन वैज्ञानिक मानते हैं कि एक समय ऐसा था, जब यहां भी जीवन की संभावना थी.
वैज्ञानिकों की मानें तो सौरमंडल में दूसरे नंबर पर मौजूद ये ग्रह लगभग 70 करोड़ साल पहले रहने योग्य था. दरअसल, इस ग्रह के भीतरी किनारे पर एक हैबिटेबल जोन है. यही वजह है कि वैज्ञानिकों को लगता है कि करोड़ों साल पहले इस ग्रह पर जीवन संभव था. इस ग्रह के बारे में एक खास बात ये भी है कि यहां एक दिन पृथ्वी के 243 दिनों के बराबर होता है. इस ग्रह का वातावरण 96 फीसदी कार्बन डाइऑक्साइड से बना है.
इसरो यहां भी करेगा खोज
इसरो के अध्यक्ष एस. सोमनाथ ने कुछ समय पहले ऐलान किया था कि भारत अपना अगला मिशन शुक्र ग्रह के लिए भेजेगा. दरअसल, इसरो साल 2029-30 में शुक्र ग्रह के लिए एक मिशन लॉन्च करेगा. इसके बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि शुक्रयान एक ऑर्बिटर मिशन रहेगा, जिससे इस ग्रह का चक्कर लगाकर बाहरी सतह को समझकर भविष्य में लैंडर और रोवर भेजा जा सके.
दरअसल, शुक्र का एटमॉस्फेयरिक प्रेशर पृथ्वी से 100 गुना है और यह पूरी तरह से एसिड से भरा है. यही वजह है कि आप इसकी सतह में प्रवेश नहीं कर सकते और आपको ये भी नहीं पता कि इसकी सतह क्या है? ठोस है या नहीं.
ये भी पढ़ें: क्या आम इंसान भी पहाड़ से खुरचकर ला सकता है शिलाजीत, कैसे करनी होगी इसकी पहचान?