Teacher's Village: हमारे देश मे शिक्षा का अलग ही महत्व है. पहले के मुकाबले भारत मे शिक्षा का स्तर काफी हद तक बढ़ चुका है. आपको जानकर बहुत हैरानी होगी कि हमारे देश मे एक गाँव ऐसा भी है, जहां के लोग प्राइमरी, स्कूल प्रिन्सिपल, TGT टीचर, PGT टीचर, स्पेशल एजुकेटर और  स्कूल इंस्पेक्टर बन चुके हैं. कुछ बनने का ज़ज्बा हो तो कोई भी मुकाम पा सकते है. किसी भी मुकाम को पाने के लिए मेहनत और लगन बहुत जरूरी है. देश के इस गांव के हर परिवार मे आपको यही ज़ज्बा देखने को मिलेगा. उत्तर प्रदेश के जिला बुलंदशहर के पास यह गाँव स्थित है. मास्टरों का गांव 'सांखनी' जहांगीराबाद से तकरीबन 3 किमी की दूरी पर स्थित है. 


गांव के सबसे पहले सरकारी टीचर 


इस गाँव मे रहने वाले हुसैन अब्बास पेशे से टीचर है. उन्होंने सांखनी गांव के इतिहास पर एक किताब लिखी है जिसका नाम 'तहकीकी दस्तावेज' है. टीचर हुसैन अब्बास ने किताब मे लिखा है कि अब तक इस गांव के तकरीबन 350 निवासी परमानेंट सरकारी टीचर बन गए हैं. इस गांव के सबसे पहले टीचर तुफैल अहमद थे, जिन्होंने 1880 से 1940 तक कार्य किया था. तुफैल अहमद aided स्कूल के टीचर थे. इस गाँव के सबसे पहले सरकारी टीचर बाकर हुसैन बने थे, जो 1905 में उत्तर प्रदेश जिले में अलीगढ़ के पास शेखुपुर जुंडेरा नामक गाँव में सरकारी स्कूल में सरकारी टीचर रहे. इसके बाद 1914 मे बाकर हुसैन दिल्ली मे पुल बंगश के पास बने सरकारी मिशनरी स्कूल मे चले गए थे. इस गाँव के सबसे पहले पीएचडी करने वाले निवासी अली रज़ा ने 1996 मे पीएचडी की थी. मौहम्मद युसुफ रजा वर्तमान में जामिया से Ph.D. कर रहे हैं.


गांव के कुल स्कूल 


ऐसा कहा जाता है कि इस गांव का पहला स्कूल 1876 में बना था, जो केवल तीसरी क्लास तक ही था. कुछ समय बाद 1903 में 4 प्राइवेट और 1 सरकारी स्कूल बन गए थे. इस समय इस गांव में प्राइवेट और सरकारी कुल 7 स्कूल हैं. 1. इस्लामिया प्राइमरी मक्तब 1 से 5 क्लास तक है. 2.  प्राइमरी स्कूल सांखनी 1 से 5 क्लास तक है. 3.हैदरी पब्लिक स्कूल 1 से 5 क्लास तक है. 4. हैदरी इंटर कॉलेज 6 से 12 क्लास तक है. 5. प्राइमरी स्कूल अब्बास नगर 1 से 5 class तक है. 6. आल ए अतहर स्कूल 1 से 8 क्लास तक है. 7. जूनियर हाई स्कूल सांखनी 6 से 8 क्लास तक है.


गांव के कुल टीचर की संख्या 


1859 के रिकॉर्ड के अनुसार इस गांव का क्षेत्रफल 1271 एकड़ है. अब इस गाँव मे घरों की कुल संख्या 600-700 तक है और आबादी की बात की जाए तो 15 से 18 हजार के बीच है. 'तहकीकी दस्तावेज' किताब के अनुसार, इस गाँव के 300 से 350 निवासी परमानेंट सरकारी टीचर के रूप मे काम कर चुके या कर रहे हैं. इस गाँव के टीचर उत्तर प्रदेश, दिल्ली और अन्य राज्यों के अलग-अलग जिलों मे टीचर की नौकरी कर रहे हैं. इतना ही नहीं, गाँव मे ट्यूटर, गेस्ट टीचर, स्पेशल एजुकेटर की संख्या अब तक 60 से 70 हो गयी हैं. समय के साथ साथ नौकरियों के लिए महिलाओं की संख्या भी बढ़ रही है.


केवल टीचर बनने पर ही फोकस करते है इस गाँव के लोग 


ऐसा बिल्कुल नहीं है कि इस गाँव के लोग केवल टीचर बनने पर ही फोकस करते है. वे अन्य प्रोफेशन्स में भी गए है. जैसे - इंजीनियर, डॉक्टर, फोटोग्राफर, जर्नलिस्ट, एयर होस्टेस, वकील, पुलिस इत्यादि. अकबर हुसैन इस गांव (Village) के सबसे पहले सिविल इंजीनियर थे. जब भारत और पाकिस्तान का बंटवारा हुआ था उस समय वे पाकिस्तान चले गए थे. पाकिस्तान में भी 1952 के करीब उन्होंने इंजीनियर के रूप मे काम किया था. हुसैन अब्बास की किताब के अनुसार, इस गांव के करीब 50 लोग वर्तमान में इंजीनियर हैं.


फ्री कोचिंग की सुविधा 


इस गाँव मे एंट्रेंस की तैयारी के लिए फ्री कोचिंग दी जा रही है और इस फ्री कोचिंग का नाम सांखनी लाइब्रेरी एंड कोचिंग सेंटर है. फ्री कोचिंग की शुरुआत 2019 से हुई. इस कोचिंग में ना तो पढ़ने वाले स्टूडेंट्स से कोई पैसा लिया जाता है और ना ही पढ़ाने वाले कुछ टीचर्स को कोई मेहनताना दिया जाता है लेकिन कुछ टीचर को दिया भी जाता हैं. इस कोचिंग मे करीब 12 टीचर्स पढ़ा रहे हैं. किताब 'तहकीकी दस्तावेज' के अनुसार , यह गांव तकरीबन पांच सौ साल से भी ज्यादा पुराना है. लेकिन 1611 से इस गांव का जिक्र इतिहास के पन्नों में मिलता है.


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