भारत का सांस्कृतिक और भौगोलिक विविधता, देश के छोटे-छोटे गांवों में भी समाहित है. हाल ही में कुछ गांवों ने टूरिस्टों के बीच अपनी एक विशेष पहचान बनाई है. इन गांवों ने गोल्ड और सिल्वर के तमगे प्राप्त किए हैं. ये गांव न केवल अपनी प्राकृतिक सुंदरता और सांस्कृतिक धरोहर के लिए प्रसिद्ध हैं, बल्कि यहां के निवासी भी पर्यटकों को एक अद्वितीय और सच्चा भारतीय अनुभव प्रदान करते हैं. जिस कारण पर्यटक भी इस गांव के मुरीद हो जाते हैं. आइए, जानते हैं उन गांवों के बारे में जो इस सम्मान को प्राप्त करने में सफल रहे हैं...


टूरिज्म आफ इंडिया के हिसाब से तीन कैटेगरी हैं गोल्ड, सिल्वर और ब्रांच हैं इनकी खूबसूरती के हिसाब से इन गांव को केंद्र सरकार की तरफ से पुरस्कार दिया गया है और इन्हें लिस्ट में शामिल किया गया है चलिए अब हम जानते हैं गोल्ड, की लिस्ट में कौन-कौन से गांव आते हैं.


जम्मू कश्मीर का दावर गांव 
जम्मू कश्मीर इस गांव को हाल ही में गोल्ड पुरस्कार मिला है दावर गांव, कुपवाड़ा जिले के उत्तर में स्थित एक छोटा लेकिन अत्यंत खूबसूरत गांव है। इसे "गोल्ड" पुरस्कार मिलने के पीछे इसके अद्वितीय विकास मॉडल, सांस्कृतिक धरोहर, और पर्यटन के घूमने के लिए बेस्ट जगह है दावर गांव की प्राकृतिक सुंदरता वास्तव में लुभावनी है, यह गांव कश्मीर की हरी-भरी घाटियों, बर्फ से ढके पहाड़ों, और ठंडी जल धाराओं से घिरा हुआ है, यहां की वादियां और पर्वत न केवल दर्शनीय हैं, बल्कि यहां की शांति और ठंडा मौसम भी पर्यटकों को आकर्षित करता है.


उत्तराखंड का सिरमौली गांव 
उत्तराखंड, हिमालय की गोद में बसा एक राज्य है, जो अपने प्राकृतिक सौंदर्य, सांस्कृतिक धरोहर, और धार्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है, इस राज्य में कई छोटे-छोटे गांव हैं, जिनमें से एक है सरमौली. यह गांव उत्तराखंड के नैनीताल जिले में स्थित है इस गांव को भी गोल्ड पुरस्कार मिला है.


केरल का कंठल्लूर गांव
कंठल्लूर गांव केरल के इडुक्की जिले में स्थित है. यह गांव पश्चिमी घाट की सुंदर पहाड़ियों में बसा हुआ है और अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है. कंठल्लूर को हाल ही में सर्वश्रेष्ठ ग्रामीण पर्यटन परियोजना के लिए केंद्र का गोल्ड पुरस्कार मिला है. यहां की हरियाली, ताजगी और शांतिपूर्ण वातावरण इसे एक आदर्श पर्यटन स्थल बनाते हैं. गांव में विभिन्न प्रकार की फसलें उगाई जाती हैं और यहां के लोग मुख्यतः कृषि पर निर्भर हैं. कंठल्लूर की संस्कृति और परंपराएं भी बहुत समृद्ध हैं, जो इसे और भी खास बनाती हैं.


ये भी पढ़ें: चोल साम्राज्य से बेहद खास था पोर्ट ब्लेयर का कनेक्शन, जिसका अब बदला गया नाम


मिजोरम का रेइक गांव
रेइक गांव मिजोरम के आइजोल जिले में स्थित है. यह गांव अपनी प्राकृतिक सुंदरता और सांस्कृतिक धरोहर के लिए प्रसिद्ध है. यहां के लोग मुख्यतः कृषि पर निर्भर हैं और अलग-अलग प्रकार की फसलें उगाते हैं. रिक गांव को हाल ही में भारत के सर्वश्रेष्ठ पर्यटन गांव का पुरस्कार मिला है. यहां की हरियाली, ताजगी और शांतिपूर्ण वातावरण इसे एक आदर्श पर्यटन स्थल बनाते हैं.  गांव में कई तरह की पारंपरिक गतिविधियां और त्योहार मनाए जाते हैं, जो इसकी सांस्कृतिक समृद्धि को दर्शाते हैं.


मध्य प्रदेश का खोखरा गांव
खोखरा गांव मध्य प्रदेश के सीधी जिले में स्थित है. यह गांव अपनी प्राकृतिक सुंदरता और सांस्कृतिक धरोहर के लिए जाना जाता है. खोखरा गांव को हाल ही में पर्यटन मंत्रालय द्वारा सर्वश्रेष्ठ पर्यटन गांव के लिए कांस्य पदक मिला है. यहां के लोग मुख्यतः कृषि पर निर्भर हैं और अलग-अलग प्रकार की फसलें उगाते हैं. गांव में हरियाली, ताजगी और शांतिपूर्ण वातावरण इसे एक आदर्श पर्यटन स्थल बनाते हैं.


भारत में सिल्वर पुरस्कार प्राप्त गांवों की सूची में कई गांव शामिल हैं, जो अपने विशेष पर्यटन मॉडल, सांस्कृतिक समृद्धि, और पर्यावरणीय प्रबंधन के लिए प्रसिद्ध हैं. इन गांवों को ग्रामीण पर्यटन और विकास के क्षेत्र में सर्वोत्तम मानक स्थापित करने के लिए सिल्वर पुरस्कार मिला है. यहां कुछ प्रमुख गांव हैं जो इस सूची में शामिल हैं.


आंध्र प्रदेश का लेपाक्षी गांव
लेपाक्षी गांव, आंध्र प्रदेश के अनंतपुर जिले में स्थित है, और यह भारतीय सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह गांव विशेष रूप से अपने ऐतिहासिक मंदिरों, समृद्ध सांस्कृतिक परंपराओं, और अद्वितीय स्थापत्य कला के लिए प्रसिद्ध है। लेपाक्षी गांव को उसके ऐतिहासिक और सांस्कृतिक के लिए सिल्वर पुरस्कार मिला है.


ये भी पढ़ें: पॉलीग्राफ के बाद अब कोलकाता रेप कांड के आरोपी का होगा नार्को टेस्ट ?, जानें दोनों में क्या है अंतर


अरुणाचल का शेरगांव गांव
शेरगांव अरुणाचल प्रदेश के पश्चिमी कामेंग जिले में स्थित एक सुंदर गांव है. यह गांव अपने प्राकृतिक सौंदर्य, हरे-भरे जंगलों और पारंपरिक मोनपा संस्कृति के लिए प्रसिद्ध है. शेरगांव का कुल क्षेत्रफल 399 वर्ग किमी है. यहां के लोग मुख्यतः कृषि और पशुपालन पर निर्भर हैं.


उड़ीसा का रघुराजपुर गांव
रघुराजपुर गांव, उड़ीसा के कटक जिले में स्थित है और यह अपनी अद्वितीय सांस्कृतिक धरोहर और पारंपरिक कला के लिए प्रसिद्ध है. यह गांव विशेष रूप से पेंटिंग और हस्तशिल्प के लिए जाना जाता है, और इसे उड़ीसा की कला और संस्कृति का एक प्रमुख स्थल माना जाता है. रघुराजपुर को उसकी सांस्कृतिक और कलात्मक गतिविधियों के कारण "सिल्वर" पुरस्कार भी प्राप्त हुआ है.इसके साथ सिल्वर गांव की लिस्ट में उत्तर प्रदेश का कुरवाना गांव और छत्तीसगढ़ का सरोदा दादर गांव इसके साथ लद्दाख का हेमिस गांव इस लिस्ट में गुजरात का खिजड़िया गांव भी शामिल हैं इसके साथ  और तेलंगाना का पेमबर्थी गांव शामिल हैं.


ये भी पढ़ें: भारत नहीं बल्कि ये है दुनिया का सबसे पुराना देश, नाम जान लीजिए आज