सलमान खान और नवाजुद्दीन सिद्दीकी की एक फिल्म है 'किक'. इसमें नवाज का एक डायलॉग है, 'मैं मौत को छूकर टक से वापिस आ सकता हूं'. दरअसल, इस फिल्म में नवाज का जो किरदार था वो काफी देर तक अपनी सांस को रोक सकता था. 


हालांकि, ये एक फिल्मी कहानी थी, लेकिन अब जो मामला सामने आया है उसमें सच में एक व्यक्ति के साथ ऐसा हुआ है. दरअसल, इस व्यक्ति की सांसें 45 मिनट तक रुकी रहीं और फिर अचानक से वो जिंदा हो गया. चलिए जानते हैं कि आखिर ये हुआ कैसे.


क्या है पूरा मामला?


ये मामला अमेरिका का है. यहां विंसेंट टॉल्मन नाम का एक व्यक्ति तकरीबन 45 मिनट तक मौत की आगोश में था. दरअसल, विंसेंट ने बॉडीबिल्डिंग सप्लीमेंट का एक भारी डोज ले लिया था, यह डोज इतना खतरनाक था कि उसने विंसेंट की हालत खराब कर दी और जब तक वह हॉस्पिटल पहुंचा उसकी सांसे रुक गई थीं.


डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया और उसकी बॉडी को शवग्रह में ले जाने को कहा. जब उसके शरीर को मुर्दाघर ले जाया जा रहा था, तभी अचानक से उसकी सांसें चलने लगीं और वो जिंदा हो गया. डॉक्टरों की मानें तो लगभग 45 मिनट तक विंसेंट की सांसें रुकी हुई थीं.


जिंदा हो कर विंसेंट ने क्या कहा?


बिजनेस इनसाइडर की रिपोर्ट के अनुसार, विंसेंट को जब होश आया तो उसने बताया कि मरने के बाद मुझे ड्रेक नाम का एक व्यक्ति मिला. उसने मुझे बताया कि मैंने अपने जीवन में कितने अच्छे और कितने बुरे काम किए हैं. ड्रेक से जब मैंने पूछा कि क्या तुम ईश्वर हो? तो ड्रेक ने कहा कि नहीं मैं उनका दूत हूं.


विंसेंट ने कहा कि इस दौरान मैंने अपने जीवन में किए सभी बुरे और अच्छे कर्मों को महसूस किया. इसके बाद ड्रेक ने विंसेंट के सामने दो विकल्प रखे, फिर से जीवित होना और मौत को चुनना. विंसेंट ने कहा इस सवाल को सुनने के बाद मुझे मेरी मां की याद आ गई और मैंने जीवन का विकल्प चुना.


इस पर विज्ञान क्या कहता है?


विज्ञान में इसे नीयर डेथ एक्सपीरिएंस के तौर पर देखा जाता है. इस पर हुई एक स्टडी एनल्स ऑफ द न्यूयॉर्क एकेडमी ऑफ साइंसेस जर्नल में प्रकाशित हुई थी. इस स्टडी में कहा गया कि बहुत समय तक ये माना जाता रहा कि सांस न लेना और नब्ज का ना होना मौत की निशानी है.


लेकिन कई बार ऐसा होता है कि रुकी हुई सांस और रुकी हुई नब्ज फिर से वापिस आ जाती है. खासतौर से जो लोग पानी में डूबते हैं उनके साथ ऐसा होता है. कई और मामलों में भी ऐसा होता है. इसलिए अब विज्ञान को मौत के अन्य पैमानों पर भी विचार करना होगा.


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