X से लेकर Z+ और Y+ तक... जानें भारत में कितनी तरह का होता है सिक्योरिटी कवर
देश में चुनिंदा लोगों को अलग-अलग लेवल पर सिक्योरिटी प्रदान की जाती है. ऐसे में चलिए जानते हैं कि आखिर ये सिक्योरिटी कितने प्रकार की होती है.
भारत में कुछ चुनिंदा और बड़े औदे पर काबिज लोगों को खास तरह की सिक्योरिटी प्रोवाइड कराई जाती है, यह सिक्योरिटी 6 तरह की होती है. जो उनके सुरक्षा के मद्देनजर दी जाती है. यह सिक्योरिटी X,Y,Z,Z+ कैटेगरी में बांटा गया है, जिसे आपने कई बार न्यूज या फिर अन्य माध्यम से सुना ही होगा? लेकिन क्या आपको पता है कि इस तरह की सिक्योरिटी भारत में किसे और क्यों दी जाती है? आज हम इसी से संबंधित सभी सवालों के जवाब देंगे, तो आइए जानते हैं इनके बारे में विस्तार से...
क्यों दी जाती है ये सुरक्षा?
खुफिया ब्यूरो की ओर से सुरक्षा संबंधी खतरों को देखते हुए देश के VVIP और अन्य क्षेत्रों के लोगों को यह सुरक्षा दी जाती है. सिक्योरिटी यानी सुरक्षा को कई कैटेगरी में बांटा गया है. जिस व्यक्ति पर जिस तरह का खतरा होता है, उसे उस हिसाब से सिक्योरिटी प्रोवाइड किया जाता है.
X कैटेगरी की सिक्योरिटी: इस कैटेगरी में 2 सुरक्षा गार्ड तैनात होते हैं, जिसमें एक पीएसओ (व्यक्तिगत सुरक्षा अधिकारी) होता है. यह सबसे छोटे लेवल की सिक्योरिटी होती है.
Y कैटेगरी की सिक्योरिटी: इसमें कुल 11 सुरक्षाकर्मी शामिल होते हैं, जिसमें दो पीएसओ (निजी सुरक्षागार्ड) भी होते हैं. इस कैटेगरी में कोई कमांडो नहीं होते हैं.
Y+ कैटेगरी की सिक्योरिटी: इस तरह की सिक्योरिटी में 11 सुरक्षाकर्मी मिले होते हैं. इनमें 1 या 2 कमांडो और 2 पीएसओ भी शामिल होते है.
Z कैटेगरी की सुरक्षा: इस कैटेगरी की सुरक्षा में चार से पांच NSG कमांडो समेत कुल 22 सिक्योरिटी गार्ड तैनात होते हैं, जिसमें दिल्ली पुलिस, ITBP या CRPF के कमांडो व स्थानीय पुलिसकर्मी भी शामिल होते हैं.
Z+ कैटेगरी की सुरक्षा: स्पेशल प्रोटक्शन ग्रुप की सुरक्षा के बाद Z+ भारत की सर्वोच्च सिक्योरिटी कैटेगरी है. इस कैटेगरी में संबंधित विशिष्ट व्यक्ति की सुरक्षा में 36 जवान लगे होते हैं. जिसमें 10 से ज्यादा एनएसजी कमांडो के साथ दिल्ली पुलिस, ITBP या CRPF के कमांडो और राज्य के पुलिसकर्मी शामिल होते हैं.
स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप (SPG) सुरक्षा: यह सुरक्षा का सबसे ऊंचा स्तर है. ये देश की सबसे पेशेवर और लेटेस्ट सिक्योरिटी फोर्स में से एक है. इसकी शुरुआत इंदिरा गांधी की हत्या के बाद 1985 में की गई थी. यह सुरक्षा प्रधानमंत्री या पूर्व प्रधानमंत्री को दी जाती है.
किसे दी जाती है सिक्योरिटी?
देश के सम्मानित लोगों और पॉलिटिशियंस को जान का खतरा है तो उसे इनमें से कोई एक सिक्योरिटी दी जाएगी. ये सुरक्षा मिनिस्टर्स को मिलने वाले सिक्योरिटी से अलग होती है. इस तरह की सिक्योरिटी पाने के लिए सबसे पहले सरकार को एप्लिकेशन देना होता है. फिर सुरक्षा एजेंसी होने वाले खतरे का अंदाजा लगाती है. खतरा किस लेवल का है, उस आधार पर सिक्योरिटी दी जाती है. होम सेक्रेटरी, डायरेक्टर जनरल और चीफ सेक्रेटरी की कमेटी ये तय करती है कि संबंधित लोगों को किस कैटेगरी की सुरक्षा दी जाएगी.
कौन देता है सिक्योरिटी ?
पुलिस के साथ-साथ कई एजेंसीज VIP और VVIP को सिक्योरिटी कवर दे रही हैं. इनमें स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप यानी एसपीजी, एनएसजी, आईटीबीपी और सीआरपीएफ शामिल हैं. हालांकि, खास लोगों की सुरक्षा का जिम्मा एनएसजी के कंधों पर ही होता है.
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