हर साल 1 मई को महाराष्ट्र दिवस के रूप में मनाया जाता है, साथ ही ये दिन गुजरात दिवस के रूप में भी सेलिब्रेट होता है. महाराष्ट्र और गुजरात को इसी दिन अलग-अलग राज्यों का दर्जा मिला था. दोनों ही राज्यों में इस दिन को बेहद धूमधाम से सेलिब्रेट किया जाता है. ऐसे में सवाल ये उठता है कि क्या महाराष्ट्र को सिर्फ़ मराठों के लिए ही बनाया गया था या फिर इसके पीछे कुछ और कहानी है? चलिए आज हम इस स्टोरी में यही जानते हैं.


क्या मराठों के लिए बनाया गया था महाराष्ट्र?


महाराष्ट्र की एक समृद्ध और सांस्कृतिक विरासत रही है. जो अपना अलग इतिहास रखती है. इस क्षेत्र पर 17वीं और 19वीं शताब्दी के बीच मुख्य रूप से मराठा साम्राज्य का शासन था. फिर जब साल 1947 में देश को आज़ादी मिली, उसके बाद साल 1956 में राज्य पुरनर्गठन अधिनियम के तहत बॉम्बे प्रेसीडेंसी का गठन किया गया था. इस प्रांत में वर्तमान समय के राज्य महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और कर्नाटक के कुछ हिस्से शामिल थे. इसके गठन की मांग धीरे-धीरे तेज होती जा रही थी. भाषा के आधार पर बंबई को अलग राज्य बनाने की मांग की जा रही थी, जिसके लिए कई रैलियां और विरोध प्रदर्शन हो रहे थे.


भाषा के आधार पर बनाया गया महाराष्ट्र


फिर साल 1960 में पुनर्गठन अधिनियम के तहत बॉम्बे का गठन किया गया. भाषा के आधार पर महाराष्ट्र एक अलग राज्य बनकर सामने आया. उसी समय से हर साल 1 मई को महाराष्ट्र दिवस के रूप में मनाया जाता रहा है. इसके साथ ही गुजरात दिवस भी इसी दिन सेलिब्रेट किया जाता है.


इस दिन हर साल राज्य में सार्वजनिक अवकाश रहता है. वहीं इस ख़ास मौक़े पर स्कूलों, कॉलेजों और सरकारी कार्यालयों में परेड, सांस्कृतिक कार्यक्रम और ध्वजारोहण समारोह जैसे कई कार्यक्रम आयोजित किए होते हैंराज्य सरकार साहित्य, कला आदि जैसे विभिन्न क्षेत्रों में उनके योगदान के लिए प्रतिष्ठित हस्तियों को पुरस्कार और सम्मान भी देती है. इस दिन मुंबई के दादर में शिवाजी पार्क में एक विशाल जुलूस निकलता है. परेड राज्य की परंपरा, संस्कृति और इतिहास का प्रतीक मानी जाती है. जिसमें महिलाएं और पुरुष पारंपरिक कपड़े पहनकर शामिल होते हैं.


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