क्या लक्षद्वीप पर पाकिस्तान करने वाला था कब्जा, क्या है इस कहानी का सच?
क्या आप जानते हैं भारत की खूबसूरत जगह लक्षद्वीप पर एक समय पाकिस्तान हुकूमत करने का ख्वाब संजोए बैठा था जिसे सरदार बल्लभ भाई पटेल ने नाकामयाब कर दिया.
कुछ दिनों से लक्षद्वीप खासी चर्चाओं में है. पीएम नरेंद्र मोदी ने इस सबसे छोटे केंद्र शासित प्रदेश में यात्रा की थी. पीएम मोदी ने इसकी कुछ तस्वीरें भी अपने सोशल मीडिया अकाउंट से शेयर कीं. जिसने भारत सहित दुनियाभर में हलचल पैदा कर दीं. कई लोग लक्षद्वीप को मालदीव से बेहतर भी बताने लगे. हालांकि ये बात मालदीव के कुछ मंत्रियों का रास नहीं आई और उन्होंने अपनी मर्यादा की सीमा को लांघने से भी गुरेज नहीं किया.
हालांकि भारत सरकार के नाराजगी जताने के बाद मालदीव के इन तीनों मंत्रियों को सस्पेंड कर दिया गया. वहीं इस टिप्पणी का असर ये भी हुआ कि अमिताभ बच्चन, अक्षय कुमार और जॉन अब्राहम से लेकर सचिन तेंदुलकर, पीवी सिंधु और सुरेश रैना जैसे खिलाड़ियों ने लोगों से घूमने फिरने के लिए भारतीय जगहों पर जाने की अपील कर दी. लेकिन इन सब के बीच क्या आपको ये बात पता है कि एक समय ऐसा भी था कि इसी लक्षद्वीप को पाकिस्तान भारत से छीनना चाहता था.
पाकिस्तान चाहता था लक्षद्वीप पर हुकुमत?
पिछले कुछ दिनों से मालदीव के साथ भारत का विवाद चल रहा है. इस बीच बहुत कम ही लोगों को ये बात पता होगी कि बंटवारे के समय पाकिस्तान लक्षद्वीप पर कब्जा करना चाहता था. दरअसल हुआ यूं था कि जब अंग्रेजों ने भारत छोड़ा उस समय भारत को भी बंटवारे का दंश झेलना पड़ा था. उस समय मोहम्मद अली जिन्ना उन सभी रियासतों को पाकिस्तान से मिलाना चाहते थे जो मुस्लिम बहुल थीं. लक्षद्वीप भी मुस्लिम बहुल क्षेत्र था. जहां 93 प्रतिशत आबादी मुस्लिम थी.
सरदार पटेल नेे तोड़ा मंसूबा
पीएम मोदी ने अक्टूबर 2019 में अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ में देश के लोगों से ये किस्सा शेेयर करते हुए बताया था कि भारत के ‘लौह पुरुष’ ने कैसे न केवल हैदराबाद और जूनागढ़ जैसी अहम रियासतों को एकजुट किया, बल्कि लक्षद्वीप को भी पाकिस्तान से बचाया था.
पीएम ने कहा था कि, 1947 में विभाजन के ठीक बाद, हमारे पड़ोसी की नजर लक्षद्वीप पर थी. उनके झंडे वाला एक जहाज वहां भेजा जा रहा था. जब सरदार पटेल को ये बात पता चली तो उन्होंने तुरंत ही कदम उठाते हुए दक्षिणी रियासत के मुदलियार बंधुओं से त्रावणकोर रियासत के लोगों को लेकर तुरंत लक्षद्वीप जाने के लिए कहा. इसके बाद रामास्वामी और लक्ष्मणस्वामी मुदलियार ने वहां पहुंचकर भारत का तिरंगा फहरा दिया और पड़ोसी के ‘नापाक सपने’ को तोड़ दिया. इस तरह लक्षद्वीप पर कब्जा करने का सपना संजोए बैठे पाकिस्तान के इरादे कभी पूरे नहीं हो पाए.
यह भी पढ़ें: आखिर क्यों पाकिस्तान को अपनेे ही लोगों पर ईरान में करना पड़ रहा हमला, क्या है बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी