चंद्रमा पर कहां से पहुंचा था पानी? इस स्पेस एजेंसी ने किया बड़ा खुलासा
Water On Moon: इंसान धरती को छोड़ दूसरे ग्रह पर अपनी कॉलोनी बसाने के लिए तैयारी में लग गया है. एक स्पेस एजेंसी ने चंद्रमा पर पानी की भी खोज कर ली है. आइए जानते हैं कि वहां पानी कैसे पहुंचा था.
![चंद्रमा पर कहां से पहुंचा था पानी? इस स्पेस एजेंसी ने किया बड़ा खुलासा water on moon isro nasa european agency try to make with hydrogen and oxygen चंद्रमा पर कहां से पहुंचा था पानी? इस स्पेस एजेंसी ने किया बड़ा खुलासा](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2023/09/18/7eed310ebd6e2d8b0354989aa6839fa01695049044648853_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
Water On Moon: मनुष्य चंद्रमा पर जाने की योजना बना रहा है. दुनिया की अलग-अलग एजेंसियों द्वारा भेजे गए मशीन चांद पर मौजूद जानकारी को इकठ्ठा करने की कोशिश में है. भारत के चंद्रयान मिशन के नेतृत्व में सबसे बड़ी सफलता 2008 में चंद्रमा पर पानी की खोज से मिली थी. आज भारत चांद पर अपना तीसरा मिशन भेज चुका है. चंद्रयान-3 को इसरो ने चांद के जिस सतह पर लैंड कराया है. वहां पहली बार कोई रोवर पहुंचा है. भारत के चांद पर पानी के खोज के लगभग 1 दशक बाद इस बात की जानकारी सामने आई है कि चांद पर पानी कहां से पहुंचा था. आइए जानते हैं.
यह पृथ्वी से आया है?
यूनिवर्सिटी ऑफ अलास्का फेयरबैंक्स जियोफिजिकल इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों के नेतृत्व में एक नए स्टडी से संकेत मिला है कि चंद्रमा पर पानी पृथ्वी के ऊपरी वायुमंडल से निकलने वाले हाइड्रोजन और ऑक्सीजन आयनों और चंद्रमा पर संयोजन का परिणाम हो सकता है. अलास्का विश्वविद्यालय के गुंथर क्लेटेत्स्का के नेतृत्व में यह शोध किया गया, जिसमें चंद्रमा के उत्तरी और दक्षिणी ध्रुवों पर पानी के स्रोत की पहचान हुई है. चंद्रमा की वायुहीन दुनिया पर पानी के भंडार का पता लगाना कठिन काम है. क्योंकि अमेरिका, यूरोप और चीन के अंतरिक्ष यात्री सतह पर पहुंचने और मंगल की ओर आगे बढ़ने के लिए आधार बनाने की योजना बना रहे हैं. चूंकि नासा की आर्टेमिस टीम चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर एक बेस कैंप बनाने की योजना बना रही है. ताकि इसके बारे में और अधिक जानकारी जुटाई जा सके.
स्टडी के मुताबिक, चंद्रमा पृथ्वी के वायुमंडल से निकलने वाले आयनों से निर्मित लगभग 3,500 क्यूबिक किलोमीटर पर्माफ्रॉस्ट या उपसतह पानी को छिपा सकता है. यह अनुमान पृथ्वी से निकलने वाले आयनों की सबसे कम मात्रा और चंद्रमा तक पहुंचने वाले 1 प्रतिशत को ध्यान में रखकर लगाया गया है.
चंद्रमा तक पानी कैसे पहुंचा?
शोध से पता चलता है कि जब चंद्रमा पृथ्वी के मैग्नेटोस्फीयर से गुजरता है तो हाइड्रोजन और ऑक्सीजन आयन चंद्रमा में चले जाते हैं, जो वह ग्रह के चारों ओर चंद्रमा की मंथली यात्रा पांच दिनों में पूर्ण करते हैं. मैग्नेटोस्फीयर पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र द्वारा निर्मित होता है, जो ग्रह को आवेशित सौर कणों की निरंतर धारा से बचाता है. नासा और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के नेतृत्व में किए गए अध्ययनों से पहले ही मैग्नेटोस्फीयर के इस हिस्से के माध्यम से चंद्रमा के पारगमन के दौरान बड़ी संख्या में पानी बनाने वाले आयन मौजूद होने का पता चला है. यूनिवर्सिटी ऑफ अलास्का फेयरबैंक्स ने एक में कहा, "मैग्नेटोस्फीयर की पूंछ में चंद्रमा की उपस्थिति, जिसे मैग्नेटोटेल कहा जाता है, अस्थायी रूप से पृथ्वी की कुछ चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं को प्रभावित करती है, जो टूटी हुई है और जो कई हजारों मील तक अंतरिक्ष में चली जाती हैं."
ये भी पढ़ें: Aurangzeb Grave: भारत में इसी जगह क्यों कब्र बनवाना चाहते थे औरंगजेब, कई सूफी संत और रईस भी हैं दफ्न
ट्रेंडिंग न्यूज
टॉप हेडलाइंस
![ABP Premium](https://cdn.abplive.com/imagebank/metaverse-mid.png)