गर्मियां शुरू होते ही सबके घरों में तरबूज पहुंचने लगता है. लाल-लाल तरबूज बच्चों का सबसे प्रिय है. अक्सर लोग इसे जूस बना कर और सीधे काट कर खाना पसंद करते हैं. दरअसल इसकी तासीर ठंडी होती है और गर्मी के मौसम में तरबूज खाना सेहत के लिए काफी फायदेमंद माना जाता है. ऊपर से हरे रंग का देखने वाला ये तरबूज अंदर से बिल्कुल लाल होता है. भारत में नदियों के किनारे आपको तरबूज की खेती करने वाले कई किसान मिल जाएंगे. बाजारों में भी अब तरबूज की भरमार हो गई है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह स्वादिष्ट रस भरा तरबूज किस देश में पहली बार उगाया गया था. आज इस आर्टिकल में हम आपको तरबूज का ही इतिहास बताएंगे.
पहली बार कहां उगा था तरबूज
मैक्समिलन यूनिवर्सिटी ऑफ म्यूनिख की बॉटनी साइंटिस्ट सुजैन रेनर और उनकी टीम ने Citrullus Lanatus नाम के घरेलू तरबूजों की जेनेटिक सीक्वेंसिंग के माध्यम से पता लगाया है कि पहली बार तरबूज इराक में उगाया गया था. उस वक्त इसे प्राचीन मेसोपोटामिया के नाम से जाना जाता था. वही प्रोसीडिंग ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंस की एक रिसर्च के अनुसार, सुडानी तरबूज को ही इराकी तरबूज का पूर्वज माना जाता है.
वहीं कुछ लोग इसे मिस्र का मानते हैं
जबकि कुछ लोगों का मानना है कि तरबूज मिस्र से आया है. दरअसल आज से 33 साल पहले मिस्र के राजा तूतनखामेन को तरबूज के बीजों के साथ दफनाया गया था. वहीं इसे मिश्र का बताने के पीछे दूसरी वजह यह है कि एक पेंटिंग है जिसे 1912 में खोजा गया था. यह पेंटिंग मिस्र के एक प्राचीन गुंबद पर करीब 4300 साल पहले बनाई गई थी. इस पेंटिंग में साफ तौर पर देखा जा सकता है कि प्लेट में कई खाने पीने वाली चीजों के साथ एक तरबूज को भी काट कर रखा गया है.
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