भारत में मानसून के समय खासकर प्राकृतिक आपदा जैसी घटनाएं बढ़ जाती हैं. केरल में ही भारी बारिश के बाद हुए भूस्खलन के कारण 300 से ज्यादा लोगों की जान चली गई है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि किसी आपदा क्षेत्र को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने के बाद वहां के लोगों को किन तरह के फायदे होते हैं.
राष्ट्रीय आपदा
केरल के वायनाड में हुए भारी तबाही के बाद पीएम नरेंद्र मोदी ने वायनाड के लैंडस्लाइड प्रभावित इलाकों का दौरा किया था. जिसके बाद पीएम ने कहा था कि ये त्रासदी सामान्य नहीं हैं. इस बीच वायनाड त्रासदी को नेशनल डिजास्टर घोषित करने की मांग फिर उठी है. नेता प्रतिपक्ष और वायनाड के पूर्व सांसद राहुल गांधी ने भी यह मांग दोहराई है. क्या आप जानते हैं कि किसी आपदा को राष्ट्रीय आपदा कब-कब घोषित किया जाता है और इससे क्या फायदा होता है.
राष्ट्रीय आपदा कब होती है घोषित
आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 में ‘डिजास्टर’ को किसी भी क्षेत्र में आपदा, दुर्घटना या गंभीर घटना के रूप में परिभाषित किया गया है. ये मानव निर्मित आपदा परमाणु, जैविक और रासायनिक हो सकती है. वहीं प्राकृतिक आपदा में भूकंप, बाढ़, भूस्खलन, चक्रवात, सुनामी, शहरी बाढ़, लू शामिल हैं.
बता दें कि वायनाड त्रासदी को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने में सबसे बड़ी चुनौती है कि किसी भी गाइडलाइन में ‘प्राकृतिक आपदा’ को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने का कोई प्रावधान नहीं है. बता दें कि 2013 में केदारनाथ में आई बाढ़ को उसकी तीव्रता और परिमाण के आधार पर गंभीर स्वरूप वाली आपदा घोषित किया गया था.
राष्ट्रीय आपदा’ घोषित होने से क्या फायदा?
नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट पॉलिसी के मुताबिक, राज्य सरकार को स्टेट डिजास्टर रिस्पॉन्स फंड (SDRF) से राहत मुहैया कराई जाती है. अगर गंभीर प्राकृतिक आपदा आपदा होती है तो ही नेशनल डिजास्टर रिस्पॉन्स फंड (NDRF) से मदद दी जाती है. अगर किसी आपदा को 'असाधारण प्रचंडता की राष्ट्रीय आपदा' घोषित किया जाता है, तो राज्य सरकार को राष्ट्रीय स्तर पर सहयोग मिलता है. केंद्र सरकार NDRF के साथ-साथ और भी मदद करती है. एक आपदा राहत कोष बनाया जाता है, इसमें जमा रकम को केंद्र और राज्य के बीच 3:1 के अनुपात में साझा किया जाता है.
बजट नहीं होने पर ?
अब सवाल ये है कि अगर आपदा राहत कोष में जरूरत से कम फंड होता है फिर क्या होगा? बता दें कि फिर राष्ट्रीय आपदा आकस्मिक फंड (NCCF) से मदद की जाती है. इस फंड में पूरी फंडिंग केंद्र सरकार की हीही होती है. इतना ही नहीं, प्रभावित लोगों से लोन वसूली में माफी या रियायती दरों पर नए लोन देने की व्यवस्था की जाती है.