Wayanad Landslide: केरल के वायनाड में तेज बारिश के चलते सोमवार देर राल 4 अलग-अलग जगहों पर भू-स्खलन हो गया, जिसमें घर, पुल और गाड़ियां तक बह गईं. इस हादसे में अबतक 24 लोगों की मौत की खबर सामने आ रही है. वहीं लैंडस्लाइड की चपेट में आने से 70 लोग घायल हो गए. इसके इतर अब भी 100 से ज्यादा लोगों के इस लैंडस्लाइड में दबे होने की आशंका जताई जा रही है. ऐसे में सवाल ये उठता है कि आखिर कोई व्यक्ति कितनी देर तक मलबे में दबे होने के बाद भी जिंदा रह सकता है? और लैंडस्लाइड में मरने की वजह क्या होती है?


लैंडस्लाइड में दबने के बाद कितनी देर तक जिंदा रह सकता है इंसान?


हर साल लैंडस्लाइड में दबने से कई लोग अपनी जान गंवा देते हैं. सर्च ऑपरेशन कर लैंडस्लाइड में फंसे कई लोगों को कई बार जिंदा भी निकाल लिया जाता है. ऐसे में सवाल ये उठता है कि आखिर भूस्खलन में फंस जाने पर कोई व्यक्ति कितनी देर तक जिंदा रह सकता है? तो बता दें कि ये इसपर निर्भर करता है कि उस व्यक्ति को सांस लेने के लिए ऑक्सीजन मिल रही है या नहीं. यदि लैंडस्लाइड में दबने पर व्यक्ति सही सलामत है लेकिन वो मिट्टी में दबा हुआ है और उसे ऑक्सीजन मिल रही है तो वो 3-4 दिनों तक भोजन पानी न मिलने की स्थिति में भी जिंदा रह सकता है. लेकिन यदि व्यक्ति को बिल्कुल ऑक्सीजन नहीं मिल रही हो तो उसकी मौत लगभग 5 मिनट के भीतर ही हो जाएगी. इसमें व्यक्ति की मौत का सबसे बड़ा कारण उसका दम घुटना होता है. किसी जगह पर दबे होने पर हवा पानी मिलने की स्थिति में व्यक्ति जिंदा रह सकता है. कई मामलों में ऐसा देखा गया है कि भारी मलबे में दबे होने के बाद भी कई-कई दिनों बाद लोगों को जिंदा निकाला गया है.


इसके अलावा यदि कीचड़ बह रहा होता है तो भी कीचड़ का भार किसी व्यक्ति के शरीर के अंगों को तोड़ने के लिए काफी होता है जिसके चलते भी व्यक्ति की मौत हो सकती है. दरअसल जब कोई चीज तेजी से आती है तो वो किसी भी चीज को तोड़ने में कामयाब होती है, इस मामले में भी कुछ ऐसा ही है. जब तेजी से किचड़ व्यक्ति पर गिरता है और उसका भार बहुत ज्यादा होता है तो व्यक्ति के जिंदा रहने की उम्मीद बहुत कम होती है.                                                               


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