जब देश के पूर्व में है बंगाल, तो इसके नाम में पश्चिम क्यों आता है? ये है इसका कारण
भारत के इतिहास में बंगाल का अपना अनोखा स्थान है. राजनीतिक फायदे के लिए अंग्रेजों ने इस राज्य का विभाजन कर दिया था, इससे लोगों में आक्रोश बढ़ने लगा, जिसके बाद 1911 में इसे वापस से एक कर दिया गया था.
West Bengal: पश्चिम बंगाल का इतिहास लगभग 4000 साल पुराना है. यह भारत के पूर्वी भाग में स्थित एक राज्य है. अंग्रेजों ने 1905 में फूट डालो-राज करो’ की नीति अपनाते हुए बंगाल का विभाजन कर दिया था, लेकिन लोगों में आक्रोश बढ़ने के चलते 1911 में बंगाल को फिर एक कर दिया गया था. क्या आप जानते हैं कि पश्चिम बंगाल भारत के पूर्वी भाग में होते हुए भी पश्चिम बंगाल क्यों कहलाता है? अगर नहीं, तो आज हम इस आर्टिकल के जरिए आपको इसके पीछे का इतिहास बताएंगे.
क्यों कहलाता है पश्चिम बंगाल?
साल 1947 में भारत के आजाद होने के साथ ही बंगाल पूर्वी और पश्चिमी, दो हिस्सों में विभाजित हुआ. पहला था मुस्लिम प्रधान पूर्व बंगाल (जो बाद में बांग्लादेश बना) और दूसरा हिस्सा था पश्चिम बंगाल (भारतीय बंगाल). यानी पहले पश्चिमी बंगाल और बांग्लादेश एक ही प्रांत (बंगाल) थे. साल 1947 में आजादी के बाद पूर्वी पाकिस्तान (वर्तमान में पाकिस्तान) और पश्चिमी पाकिस्तान (वर्तमान में बांग्लादेश) का उदय हुआ. साल 1971 के युद्ध के बाद पूर्वी पाकिस्तान स्वतंत्र होकर बांग्लादेश बन गया. इसी का पश्चिमी हिस्सा आज पश्चिम बंगाल कहलाता है.
एक समय पर आज का बांग्लादेश और पश्चिम बंगाल एक ही राज्य (बंगाल) हुआ करते थे, जो विभाजन के बाद पूर्वी बंगाल और पश्चिम बंगाल में बंटे. उसके बाद पूर्वी बंगाल बांग्लादेश बन गया.
बंगाल का इतिहास
भारत के इतिहास में बंगाल का अपना अनोखा स्थान है. सिकंदर के आक्रमण के दौरान बंगाल में गंगारिदयी नाम का साम्राज्य था. बंगाल में गुप्त और मौर्य सम्राटों का विशेष रूप से प्रभाव पड़ा. बंगाल में आधुनिक समय की शुरुआत मुगलों के बाद यूरोपीय और अंग्रेजी व्यापारिक कंपनियों के आगमन के बाद हुई. सन् 1757 में प्लासी की लड़ाई के बाद अंग्रेजो ने भारत और बंगाल में अपने पांव जमाए.
राजनीतिक फायदे के लिए किया था विभाजन
राजनीतिक फायदे के लिए अंग्रेजों ने इस राज्य का विभाजन किया, जिस वजह से लोगों के बढ़ते हुए आक्रोश के चलते कांग्रेस के नेतृत्व में साल 1911 में बंगाल को एक बार फिर एक कर दिया गया. इस सब से स्वतंत्रता आंदोलन की आग और तेजी से भड़की, जिसका नतीजा 1947 में देश की आजादी और विभाजन के रूप में मिला. साल 1947 में आजादी मिलने के साथ ही देशी रियासतों के विलय का काम शुरू हुआ. राज्य पुनर्गठन अधिनियम, 1956 के अनुसार पड़ोसी राज्यों के कुछ बांग्लाभाषी क्षेत्रों को भी पश्चिम बंगाल में शामिल कर दिया गया.
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