पश्चिम बंगाल और न्यू जलपाईगुड़ी में उस वक्त बड़ा हादसा हो गया जब एक मालगाड़ी ने सियालदाह जाने वाली कंचनजंगा एक्सप्रेस में पीछे से टक्कर मार दी. इसके बाद कंचनजंगा एक्सप्रेस की कई बोगियां हवा में उछल गईं और रेलवे ट्रेक के नीचे आ गईं. इस घटना में अबतक पांच लोगों के मारे जाने की खबर है. पिछले साल भी उड़ीसा में रेलवे ट्रैक पर दो गाड़ियों की बीच हुई टक्कर ने एक भीषण हादसे का रूप ले लिया था.
अब सवाल ये उठ रहे हैं कि आखिर इस हादसे में गलती किसकी है, या फिर जब भी दो ट्रेन आपस में टकरा जाती हैं तो उस वक्त किसकी गलती होती है? चलिए जान लेते हैं.
किस वजह से दो ट्रेन एक ही पटरी पर आ जाती हैं?
अक्सर सिग्नल फॉल्ट या इंलेक्टॉनिक इंटरलॉकिंग चेंज कोई गलती हो जाती है तो इस तरह के हादसे सामने आते हैं. बता दें कि रेलवे में हर ट्रेन और उसके रुट के मुताबिक इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम सेट होता है. इसी की वजह से हर ट्रेन अलग ट्रैक पर होती है और दुर्घटना नहीं होती, लेकिन यदि इसी में गड़बड़ी हो जाए तो इस तरह की बड़ी दुर्घटनाएं सामने आती हैं.
ये सिस्टम कैसे करता है काम?
बीबीसी की एक रिपोर्ट की मानें तो रेलवे ट्रेक में इलेक्ट्रिकल सर्किट इंस्टॉल किए जाते हैं और जैसे ही ट्रेन ट्रैक सेक्शन पर आती है तो सर्किट के जरिए ट्रेन के आने की जानकारी मिलती है. ट्रेन के आने की सूचना मिलते ही ट्रेन सर्किट इसके आने की जानकारी आगे फॉरवर्ड कर देता है. इसी के जरिए ईआईसी कंट्रोल सिग्नल जैसी चीजों को कंट्रोल करता है.
इसके अलावा इसी के आधार पर ये जानकारी दी जाती है कि अब ट्रेन को किस ओर जाना है. जैसा कि आपने अक्सर देखा होगा कि कई जगहों पर तो पटरियां सीधी होती है, लेकिन कई जगहों पर पटरियों का जाल बिछा होता है. इसी के जरिए ट्रेन का ट्रैक चेंज किया जाता है और ट्रेन को दूसरी दिशा की ओर मोड़ा जाता है.
इस वजह से भी भिड़ जाती हैं दो ट्रेनें
मौजूदा समय में कंट्रोल रुम ही ट्रेनों के रुट तय करता है, लेकिन कई बार मानवीय भूल या फिर टेक्निकल कारणों के चलते ट्रैक चेंज नहीं हो पाता, जिसके चलते ट्रेन तय रुट की जगह किसी दूसरे रुट पर चली जाती है. फिर जब उसी रुट पर दूसरी ट्रेन होती है तो दो ट्रेनों में भिड़ंत हो जाती है.
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