नासा ने हाल ही में ऐसे 17 नए एक्सोप्लैनेट्स की खोज की है जहां पानी मिलने की उम्मीद है. नासा नेे नई रिसर्च के आधार पर कहा है कि हमारे सौर मंडल के बाहर जीवन की तलाश के एक हालिया अध्ययन में 17 एक्सोप्लैनेट्स की खोज की गई है. जिनमें बर्फीले गोले के नीचे तरल पानी के महासागर होने की उम्मीद जताई गई है. बता दें कि नासा ने पहली बार ये रिसर्च कर इस बात का अनुमान लगाया है कि हमारे सौर मंडल के बाहर की दुनिया में भी पानी हो सकता है. 


इन सब के इतर अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर ये एक्सोप्लैनेट्स होते क्या हैं तो चलिए आज जान लेते हैं.


क्या होते हैं एक्सोप्लैनेट्स?
एक्सोप्लैनेट ऐसे ग्रह होते हैं जो अन्य तारों की परिक्रमा करते हैं और हमारे सौरमंडल से दूर स्थित होते हैं. एक्सोप्लैनेट का पता लगनेे की पहली पुष्टि साल 1992 में की गई थी. नासा के मुताबिक, अबतक 5 हजार से ज्यादा एक्सोप्लैनेट्स की खोज की जा चुकी है. हाल ही मेें इनमें से 17 एक्सोप्लैनेट्स में पानी होने की संभावना जताई गई है. यानी इनपर भी जीवन होने की संभावना जताई गई है.


कैसे होते हैं एक्सोप्लैनेट्स?
बता दें एक्सोप्लैनेट विभिन्न आकार के होते हैं. वो बृहस्पति जैसे बड़े और गैसीय तथा पृथ्वी जैसे छोटे एवं चट्टानी भी हो सकते हैं. इनके तापमान में भी भिन्नता पाई जाती है जो अत्यधिक गर्म से अत्यधिक ठंडे तक हो सकते हैं. इन्हें दूूसबीन सेे देखना मुश्किल होता है. दरअसल वो उन तारों की चमक में छिप जाते हैं जिनकी वो परिक्रमा करते हैं. 


इसलिए खगोल वैज्ञानिक इनका पता लगाने के लिए और इनपर अध्ययन करने के लिए अन्य तरीकों का इस्तेमाल करते हैं. जैसे कि इन ग्रहों के तारों के उन प्रभावों को देखना जिनकी वे परिक्रमा करते हैं. साथ ही वैज्ञानिक अधिकतर अप्रत्यक्ष तरीकों पर भरोसा करते हैं जैसे कि पारगमन विधि जो एक तारे के मंद होने की माप करती है जिसके सामने से एक ग्रह गुजर रहा होता है.                          


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