ऑर्डिनेंस, एक्ट और बिल जैसे शब्द अक्सर कोई खबरें सुनते समय सामने आ जाते हैं. वैसे तो ये शब्द कानून से जुड़े हुए हैं, लेकिन कई लोग इनके बीच का अंतर नहीं जानते. चलिए आज हम इस आर्टिकल में इन तीनों के बीच के अंतर को जाानते हैं.


बिल क्या होता है?


बता दें बिल एक प्रस्तावित कानून होता है. इसे किसी भी संसद सदस्य या सरकार द्वारा पेश किया जा सकता है. इसका उद्देश्य किसी मौजूदा कानून में बदलाव करना, कोई नया कानून बनाना या किसी पुराने कानून को रद्द करना होता है. गौरतलब है कि बिल को संसद में पेश किया जाता है और ये अलग-अलग चरणों से गुजरता है. इन चरणों में चर्चा, बहस और मतदान शामिल होते हैं. यदि बिल संसद के दोनों सदनों से पास हो जाता है और राष्ट्रपति की सहमति मिल जाती है, तो वो कानून बन जाता है.


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एक्ट क्या होता है?


एक्ट एक ऐसा कानून होता है जो संसद द्वारा पारित किया गया और राष्ट्रपति द्वारा अनुमोदित हो गया हो. ये कानून का एक प्रमुख जरिया होता है, जो देश के सभी नागरिकों पर लागू होता है.


ऑर्डिनेंस क्या होता है?


ऑर्डिनेंस एक ऐसा कानून होता है जो राष्ट्रपति द्वारा जारी किया जाता है. ऑर्डिनेंस तब जारी होता है जब संसद का सत्र नहीं चल रहा हो और किसी विषय पर तत्काल कानून बनाने की जरुरत हो. बता दें ऑर्डिनेंस अस्थायी होता है और इसे संसद के अगले सत्र में पेश करके एक्ट में बदलना होता है. अगर संसद अगले सत्र में ऑर्डिनेंस को मंजूरी नहीं देती है, तो वह स्वतः ही निरस्त हो जाता है.


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क्यों जारी किए जाते हैं ऑर्डिनेंस?


जब कोई आपातकालीन स्थिति होती है और तुरंत कानून बनाने की जरुरत होती है, तब ऑर्डिनेंस जारी किए जाते हैं. वहीं जब संसद का सत्र नहीं चल रहा हो और किसी विषय पर तुरंत कानून बनाने की जरुरत हो, तब भी ऑर्डिनेंस जारी किए जाते हैं.


बिल, एक्ट और ऑर्डिनेंस के बीच अंतर?


अबतक तक तो बिल, एक्ट और ऑर्डिनेंस को आप समझ ही गए होंगे. बता दें बिल एक प्रस्ताव होता है, एक्ट एक पारित कानून होता है और ऑर्डिनेंस एक अस्थायी कानून होता है जो राष्ट्रपति द्वारा जारी किया जाता है. इन तीनों के बीच अंतर को समझना सभी के लिए जरुरी है, क्योंकि ये हमें समझने में मदद करता है कि देश के कानून कैसे बनते हैं और कैसे लागू होते हैं.


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