Puncture Proof Tyre: इंसान के जीवन में टायर की उपयोगिता को नजरंदाज नहीं किया जा सकता. आदिमानव के टायर की खोज करने के बाद से जीवन को एक नई रफ्तार मिली. समय बीता और इंसान अपने दिमाग और विज्ञान के दम पर नई-नई खोज की और अपनी पुरानी खोजों में बदलाव किए. टायर का सफर भी कुछ ऐसा ही रहा. शुरुआत में लकड़ी से टायर बनाया गया. समय के रबर की खोज हुई तो रबर से टायर बनाए जाने लगे. इस समय टायर इंडस्ट्री काफी तेजी से ग्रो कर रही है. जहां पहले टायर और ट्यूब वाली गाड़ियों थी, वहीं अधिकतर गाड़ियों में अब ट्यूबलेस टायर देखने को मिलते हैं. हालांकि, पिछले कुछ सालों से पंचर प्रूफ टायर भी आने लगे हैं. आइए जानते हैं ये कैसे काम करते हैं.


ट्यूब वाले टायर्स के साथ समस्या


वैसे तो आज ट्यूब वाले टायर मार्केट में उपलब्ध हैं. लेकिन इनके साथ यह समस्या रहती है कि अगर टायर पंक्चर हो जाए तो गाड़ी का बैलेंस बिगड़ सकता है. ऐसे में इनके मुकाबले ट्यूबलेस टायर्स काफी सेफ रहते हैं.


कैसे होते हैं ट्यूबलेस टायर?


दिखने में तो यह ट्यूब वाली टायर की तरह ही लगता है, लेकिन इन टायरों के अंदर ट्यूब नहीं होती है. यह टायर रिम के साथ एक एयरटाइट सील बनाता है. इसके रिम पर एक वाल्व लगाया जाता है, जैसा कि एक ट्यूब में होता है.


पंचर प्रूफ टायर


पंचर प्रूफ टायर को सेल्फ हीलिंग टायर भी कहा जाता है. इसकी खासियत यह है कि अगर इस टायर में कोई किल चुभ भी जाती है तो छेद वाली जगह को ये टायर अपने आप हील कर लेता है. टायरों में यह अब तक की सबसे लेटेस्ट टेक्नोलॉजी है, जिसे आने वाले समय में अधिक से अधिक इस्तेमाल किया जाने वाला है. 


कैसे काम करता है पंचर प्रूफ टायर?


पंचर प्रूफ टायर छेद वाली जगह पर अपने आप ही सीलेंट मैटेरियर की एक लेयर छोड़ता है. इससे वह छेद अपने आप भर जाता है और बाहर निकलने वाली हवा को रोकने में मदद मिलती है. आजकल बहुत से नए ट्यूबलेस टायर्स में सीलेंट टेक्नोलॉजी इस्तेमाल की जा रही है. यह पंक्चर सील कर देती है और टायर को डिफ्लेक्टेड होने से बचाती है. इस प्रकार यह सही मायने में सेल्फ हीलिंग टायर बन जाता है.


यह भी पढ़ें - IPL में जो लाइट वाली गिल्लियां यूज होती हैं, वो कितने रुपये की आती हैं?