मनुष्यों और जीवों के जीवन के लिए ऑक्सीजन सबसे ज्यादा जरूरी है. ऑक्सीजन गैसे के लिए पेड़ों की जरूरत है. लेकिन तकनीक और बिल्डिंग बढ़ने के साथ ही पेड़ों की संख्या कम होती जा रही है. दुनियाभर के कुछ देश इस समस्या से निपटने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं. इसमें केन्या भी एक देश है, जो पेड़ों को बढ़ावा देने के लिए सीड बॉल्स का इस्तेमाल कर रहा है. क्या आप जानते हैं कि ये सीड बॉल्स क्या होते हैं? आज हम आपको बताएंगे कि ये सीड बॉल्स क्या होते हैं और ये कैसे काम करते हैं. 


सीड बॉल्स


सबसे पहले ये जानते हैं कि सीड बॉल्स आखिर क्या होते हैं. जैसा की नाम है सीड बॉल्स यानी एक ऐसा बॉल जिसमें बीज होता है. दरअसल केन्या अपने यहां पर चारकोल से लिपटे हुए बीजों वाले बॉल का इस्तेमाल हरियाली बढ़ाने के लिए कर रहा है. चारकोल में लिपटे हुए बीजों को गुलेल और हेलिकॉप्टर की मदद से दूर तक फेंका जाता है.वहीं बारिश होने पर चारकोल में मौजूद बीज से पौधे पनपने की शुरुआत होती है. जानकारी के लिए बता दें कि 2016 में सीडबॉल्स केन्या नाम के ऑर्गेनाइजेशन की शुरुआत टेडी किन्यानजुई और एल्सन कार्सटेड ने की थी. सीडबॉल को एक सफल प्रयोग माना गया और भारत समेत कई देशों में इससे हरियाली वापस लाने की कोशिश की जा रही है. 


मिट्‌टी की बजाय चॉरकोल क्यों 


अब कई लोगों के दिमाग में ये सवाल आ रहा होगा कि आखिर जब पेड़ मिट्टी में होते हैं, फिर चॉरकोल वाले सीड बॉल का इस्तेमाल क्यों किया जा रहा है? बता दें कि इसे गर्म मौसम में मैदानों में फेंका जाता है. वहीं बीजों पर चारकोल को लगाने के पीछे का कारण है कि केवल बीजों को छोड़ने पर उसे चिड़िया और दूसरे जीव खा जाते हैं. लेकिन जब इस पर चारकोल लिपटा होता है, तो यह सुरक्षित रहता है. वहीं जब बारिश आती है तो बॉल में नमी बढ़ती है और बीज अंकुरित होना शुरू होता है. इस तरह बीज से पौधा तैयार हो जाता है. आपने देखो होगा कि हर सीडबॉल में एक बीज होता है. इस बीज के ऊपर चारकोल को चढ़ाकर गेंद जैसा आकार दिया जाता है. ये आकार में एक सिक्के जितने होते हैं. 


सीड बॉल्स की शुरुआत?


केन्या में सीड बॉल्स के जरिए पौधे लगाने का काम स्कूली बच्चों के साथ 2016 में किया गया था. सबसे पहले बीजों को आसपास के बच्चों को बांटा गया था, उन्होंने गुलेल की मदद से इसे दूर तक पहुंचाया. वहीं इस काम को इंट्रेस्टिंग बनाने के लिए बच्चों की बीच कॉम्पिटीशन शुरू किए गए थे. उन्हें गुलेल देकर बीजों को दूर तक पहुंचाने का टार्गेट दिया जाता था. इस तरह यह काम उनके लिए एक गेम की तरह बन गया, जिसे उन्होंने बखूबी पूरा किया था.
 


हालांकि जिन दूर-दराज वाले इलाकों में बीजों को पहुंचाना आसान नहीं था, वहां हेलिकॉप्टर से सीडबॉल छोड़े जाते थे. इस दौरान जीपीएस तकनीक से जाना गया कि कहां बीजों की जरूरत है, वहीं इन्हें छोड़ा गया. वहीं सीडबॉल में ऐसे पौधों के बीज हैं, जो बेहद कम पानी में विकसित हो जाते हैं. जैसे बबूल यह तेजी से बढ़ता है. इसकी जड़ें मजबूत होने के कारण यह सूखे का सामना आसानी से कर पाता है. वहीं टेडी और एल्सन की संस्था सीडबॉल केन्या बीजों को केन्या फॉरेस्ट्री रिसर्च इंस्टीट्यूट से वेरिफाई कराने के बाद ही इन पर चारकोल की लेयर चढ़ाती है.


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