Scientific Reason Behind Diwali: दिवाली पर चारों ओर रोशनी ही रोशनी होती है. लोग अपने घरों को सजाते हैं, अलग-अलग तरह की रंग बिरंगी लाइटें लगाते हैं. इसके अलावा, लोग मोमबत्तियां और दीपक भी जलाते हैं. दिवाली पर हर घर जलते दियों से रोशन हो उठता है. कई लोग इस बात पर सवाल उठाते हैं कि फालतू इतने दीये जला कर क्‍यों पैसा खर्च करना? दरअसल, इन जलते दियों के पीछे सिर्फ धार्मिक ही नही, बल्कि वैज्ञानिक कारण भी होता है. मान्यता के अनुसार, दिवाली के दिन वायुमंडल में सकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव ज्‍यादा होता है. आइए दीपक जलाने के विषय में वैज्ञानिक महत्‍व के बारे में भी जान लेते हैं.     


दिवाली वर्षा ऋतु के बाद आती है. यह कीटों व फफूंद आदि के पोषण का समय होता है. इस दौरान कीड़े-मकौड़े अधिक हो जाते क्योंकि इनको अनुकूल वातावरण मिलता है. दिवाली पर घरों की सफाई की जाती है, जिससे कीटों का खतरा कम हो जाता है और घी या तेल के दीपक जलाने से वातावरण भी शुद्ध हो जाता है. 


रसायन विज्ञान भी करता है दियों की महत्ता की पुष्टि 


रसायन विज्ञान के कई प्रोफेसर ने बताया है कि सरसों के तेल में ऐसे तत्व होते हैं, जो हमारे वातावरण में रसायनों से प्रतिक्रिया करके उसमे मौजूद विषैले तत्वों, रोगाणु, कीट-पतंगे आदि को मारने में सहायक रहते हैं. दिवाली मनाने के पीछे यह भी एक वैज्ञानिक कारण हो सकता है. रसायन विज्ञान भी इस बात की पुष्टि करता है कि दिये जलाने से वातावरण शुद्ध होता है. दीपक जलाने से वातावरण में नमी बढ़ती है. ज्‍यादा संख्‍या में दीपक जलाने से वातावरण का ताप बढ़ जाता है. दिवाली के समय ठंड का मौसम होता है जिस कारण हवा भारी होती है. दीपक जलाने से यह हवा हल्की और साफ हो जाती है. 


घी के दीपक का अलग ही महत्व 


देशी घी के दीये वातावरण के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं. आजकल महंगाई के दौर में देशी घी के दीपक जलाना सबके लिए आसान नहीं है. खासकर गाय के घी से दीये जलाना वातावरण को रोगाणुमुक्त रखता है. गाय के देसी घी से दीपक जलाने पर वातावरण शुद्ध रहता है. डॉक्टर बताते हैं कि वातावरण साफ रखने से हमारा इम्यून सिस्टम भी बेहतर रहता है और व्यक्ति निरोगी रहता है. इसी के साथ दिवाली पर दिए जलाने का एक महत्व यह भी है कि इसकी वजह से बहुत सारे लोगों को रोजगार भी मिल जाता है. 


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