लिव इन रिलेशनशिप में रहना नौजवान लड़के-लड़कियों की पहली पंसद बन चुका है, लेकिन कई बार इस तरह रहने में दोनों के बीच अनबन बड़े झगड़े का कारण बन जाती हैं. इस दौरान महिलाओं के साथ प्रताड़ना और हिंसा तक हो जाती है. ऐसे में लिवइन रिलेशन में रहने वाली महिलाओं के पास भी कई अधिकार हैं जिनसे अबतक कई लोग अनभिज्ञ हैं. ऐसे में चलिए उन अधिकारों के बारे में जानते हैं.


सुप्रीम कोर्ट ने कही थी ये बात


इंद्रा शर्मा बनाम वीकेवी शर्मा के मामले में फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि लिव इन रिलेशनशिप न ही अपराध है और नही पाप. शादी करने या न करने और सेक्सुअल रिलेशनशिप बनाने का फैसला पूरी तरह से निजी है. लिहाजा 18 की उम्र पूरी कर चुकी लड़की और 21 की उम्र पूरी कर चुका लड़का लिव इन में रह सकते हैं. इसलिए लिव इन में रह रही हर महिला को अपने अधिकार के बारे में जानना बेहद जरूरी है.


लिवइन रिलेशनशिप में रहने वालों के अधिकार


घरेलू हिंसा से संरक्षण- अगर लिव इन में रहने वाली महिला के साथ घरेलू हिंसा होती है तो शादीशुदा महिलाओं की तरह उसे इससे बचने के लिए कानूनी संरक्षण हासिल हैं। घरेलू हिंसा की स्थिति में वह कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकती है.


संपत्ति का अधिकार- लिव इन में रहने वाली महिला को अपने पार्टनर के घर पर निवास का अधिकार है. यदि उसे इससे वंचित किया जाता है तो वो कानून के तहत कोर्ट से अपना अधिकार हासिल कर सकती है.


गुजारा भत्ता पाने का अधिकार- यदि आपसी सहमति के बिना पार्टनर लिव इन में रहने वाली महिला के साथ संबंध तोड़ देता है तो उसे विवाहित पत्नी की तरह ही गुजारा भत्ता पाने का अधिकार होता है.


बच्चे को अपने पास रखने का अधिकार- लिव इन पार्टनर से संबंध टूटने की स्थिति में लिव इन में रहने वाली महिला को यह अधिकार है कि इस दौरान पैदा हुए बच्चे को अपने साथ रखने का दावा कर सके. इसके लिए महिला कोर्ट की शरण में जा सकती है और वहां अपना दावा रख सकती है. ऐसे में बच्चे के पास वो सभी अधिकार होंगे जो वैध विवाह से जन्में बच्चों के पास होते हैं.                             


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