Mission Mangalyaan Over: 9 साल पहले भारत ने अपने मंगल (Mars) अभियान को भेजकर पूरी दुनिया को चौंका दिया था. यह दुनिया का पहला ऐसा मंगल अभियान (Mission Mangal) था जो अपने पहले ही प्रयास में सफल रहा था. सबसे खास बात यही थी कि इसकी लागत ने दुनिया के बड़े बड़े देशों को आश्चर्य में डाल दिया था. हाल ही में खत्म घोषित किए गए इस मंगलयान (Mangalyaan) की बहुत सी वैज्ञानिक उपलब्धियां भी रही. आइए जानते हैं कि इस मिशन से हमें क्या हासिल हुआ


पहले ही प्रयास में सफल रहा


मंगल यान (Magalyaan) अभियान भारत (India) के लिए एक गौरवपूर्ण उपलब्धि थी. इस अभियान के बाद भारत एशिया और दुनिया का पहला ऐसा देश बन गया जो अपने पहले ही प्रयास में मंगल की कक्षा में पहुंचने में सफल रहा. मंगलयान अभियान ने भारत की स्पेसी एजेंसी इसरो (ISRO) को दुनिया की बड़ी स्पेस एजेंसियों के बीच खड़ा कर दिया. लगभग एक दशक पहले प्रक्षेपित किया गया मंगल यान (Mangalyaan) पिछले कुछ दिनों से संकेत नहीं भेज पा रहा था. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान इसरो (ISRO) ने अब खुद इस बात की जानकारी दी है कि यह अभियान खत्म हो गया हो गया है और अब वापसी नहीं कर सकता है. दरअसल, मंगल यान का ईंधन खत्म हो गया था और बैटरी भी बंद हो चुकी थीं जिससे उसका फिर से चालू होना अब बहुत ही ज्यादा मुश्किल था. इसके बावजूद भी यह अभियान भारत को अंतरिक्ष क्षेत्र में बहुत बड़ी उपलब्धियां देने वाला अभियान साबित हुआ.


दुनियाभर के देशों को सिखाया बहुत कुछ


मंगल यान (Magalyaan) ने अंतरिक्ष अनुसंधान (Space Research) में एक लंबी छलांग लगाई, जिसने दुनिया के कई देशों को हैरान कर दिया. मंगल यान (Magalyaan) ने दुनिया को कई संदेश भी दिए थे, जिसमें चीन भी शामिल था. चीन उस समय तक मंगल ग्रह के लिए अपना कोई सफल अभियान नहीं भेज पाया था. इसके साथ ही भारत (India) ने दुनिया को यह भी समझा दिया है कि वह अपनी आत्मनिर्भर तकनीकों के जरिए अंतरिक्ष उद्योग में काफी दूर तक जा सकता है.


पूरी दुनिया में भारत का लोहा मनवाया


मंगल यान (Magalyaan) को दुनिया के कई देशों से तारीफ मिली क्योंकि यह अब तक का सबसे सस्ता और सफल मंगल (Mars) अभियान था. मंगलयान अभियान की टीम को साल 2015 में अमेरिकी की नेशनल स्पेस सोसाइटी ने को स्पेस पायोनियर अवार्ड से भी नवाजा गया था. यहां तक कि भारत का विरोधी देश रहा चीन (China) के विदेश मंत्रालय ने भी मंगलयान अभियान को प्राइड ऑफ एशिया कहा था. 


पहले ही प्रयास में सफल और केवल 450 करोड़ रुपये की लगात में भारत ने मंगल पर पहुंच पूरी दुनिया को चौंका दिया था. इससे साबित हुआ था कि भारत भी अंतरिक्ष (Space) में लंबी दूरी तय करने के लिए यान प्रक्षेपण करने में सक्षम है. इसने इसरो (ISRO) और उसके वैज्ञानिकों को भविष्य में और भी बड़े और लंबी दूरी के अभियानों पर काम करने के लिए प्रेरित किया है.


अन्य वैज्ञानिक उपलब्धियां


मंगलयान ने अपने खाते में कईं महत्वपूर्ण उपलब्धियां दर्ज कराई हैं. मंगलयान (Maganlyaan) के लिए वैज्ञानिक सौरचक्र 24 के पोस्ट मैग्जिमा फेज के दौरान सौर कोरोना गतिकी समझने में एस बैंड रेडियो सिग्नल के जरिए सफलता मिली. मंगल (Mars) के धूल बहरे तूफानों के दौरान मंगल के वायुमडंल (Atmosphere) से निकलने वाली गैसों का भी अध्ययन किया जा सका. इसके अलावा मंगल के वायुमडंल के बाह्यमंडल की अतिगर्म ऑर्गन गैस का पता चला. यह भी ज्ञात हुआ कि मंगल के वायुमंडल में 270 किलोमीटर की ऊंचाई पर कार्बन डाइऑक्साइड की तुलना में ऑक्सीजन की मात्रा ज्यादा है. मंगलयान अपने वलयाकार परिक्रमा पथ के बल पर जो तस्वीरें ले सका विज्ञानियों ने उसके आधार पर मंगल का मैप तैयार किया.


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