(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
चुनाव में क्या होता है जमानत जब्त होने का मतलब? जान लें कितने का होता है नुकसान
आपने चुनाव के समय अक्सर जमानत जब्त होने की बात सुनी होगी, लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर ऐसा होता क्यों है? चलिए जानते हैं.
भारत में लोकतंत्र के सबसे खास पहलुओं में से एक है चुनाव. हर पांच साल में होने वाले लोकसभा और विधानसभा चुनावों में लाखों उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमाते हैं. हालांकि, चुनावी प्रक्रिया केवल मतदान तक सीमित नहीं होती, बल्कि इसमें कई कानूनी प्रावधान भी होते हैं, जिनमें से एक है जमानत जब्त होने का प्रावधान. यह प्रावधान चुनावी प्रक्रिया का अहम हिस्सा है और यह उन उम्मीदवारों पर लागू होता है जो चुनावी मैदान में अपनी पार्टी या स्वतंत्र रूप से खड़े होते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि जमानत जब्त होने का क्या मतलब है और इसका उम्मीदवार पर क्या असर पड़ता है? चलिए जानते हैं.
यह भी पढ़ें: किसी पुलिसवाले से पिस्तौल छीनने पर क्या मिलती है सजा? इस धारा में दर्ज होता है मुकदमा
क्या है जमानत जब्त होने का मतलब?
चुनाव में जमानत जब्त होने का मतलब है कि यदि किसी उम्मीदवार को निर्धारित न्यूनतम वोट प्रतिशत नहीं मिलते हैं, तो उसकी जमानत राशि जब्त कर ली जाती है. यह प्रावधान भारतीय चुनावी कानूनों के तहत लागू होता है. जमानत राशि को उम्मीदवार के द्वारा चुनावी नामांकन के दौरान जमा किया जाता है और यदि वह उम्मीदवार चुनाव में कम से कम एक निर्धारित प्रतिशत वोट नहीं पा पाता है, तो वह राशि जब्त कर ली जाती है.
जमानत उम्मीदवार की ओर से यह एक तरह की सुरक्षा राशि होती है, जो यह सुनिश्चित करती है कि वह चुनावी प्रक्रिया को गंभीरता से ले रहा है और यदि वह चुनावी मैदान में अपनी स्थिति मजबूत नहीं कर पाता तो उसे यह राशि खोनी पड़ती है.
यह भी पढ़ें: काउंटिंग से पहले किसके हाथों में होती है स्ट्रॉन्ग रूम की चाबी? जान लीजिए क्या होता है पूरा प्रोसेस
क्या है जमानत राशि जब्त होने के नियम?
भारतीय चुनाव आयोग के तहत, किसी उम्मीदवार को जमानत तब तक वापस नहीं मिलती, जब तक वह अपनी सीट पर चुनावी प्रक्रिया में निर्धारित प्रतिशत वोट प्राप्त नहीं करता. यह प्रतिशत चुनाव की प्रकृति के अनुसार बदल सकता है.
लोकसभा चुनाव: अगर कोई उम्मीदवार कुल वोटों का 6 प्रतिशत प्राप्त नहीं करता है, तो उसकी जमानत जब्त कर ली जाती है.
विधानसभा चुनाव: उम्मीदवार को 6 प्रतिशत वोटों के अलावा, उसे कम से कम एक छह उम्मीदवारों से अधिक वोट प्राप्त करने की शर्त पूरी करनी होती है, ताकि उसकी जमानत वापस हो सके. यदि उम्मीदवार इन आंकड़ों तक नहीं पहुंच पाता, तो उसे अपनी जमानत खोनी पड़ती है. यह एक प्रकार की फाइन होती है, जो यह तय करती है कि उम्मीदवार अपनी उम्मीदवारी को गंभीरता से ले और चुनावी प्रक्रिया में खिलवाड़ न करें.
कितना होता है नुकसान?
सवाल ये भी उठता है कि आखिर किसी उम्मीदवार की जमानत जब्त होने पर कितना नुकसान होता है? तो बता दें कि लोकसभा चुनाव के लिए सामान्य कैटेगरी के उम्मीदवारों को 25000 रुपये जमानत राशि जमा करनी होती है. जबकि एससी-एसटी कैंडिडेट को 12500 हजार रुपये देने होते हैं. वहीं विधानसभा चुनाव में सामान्य वर्ग के प्रत्याशी को जमानत राशि के तौर पर 10,000 रुपये और एससी-एसटी कैटेगरी के कैंडिडेट को 5000 रुपये की राशि जमा करनी होती है.
यह भी पढ़ें: दस या बाहर महीने नहीं बल्कि सालों तक प्रेग्नेंट रहते हैं ये जानवर, जानकर नहीं होगा यकीन