Headphone Fact: आजकल सभी के पास स्मार्टफोन होता है. देश के करीब-करीब हर घर तक स्मार्टफोन की पहुंच हो गई है. लोग इसका इस्तेमाल कई कामों में करते हैं. यह मनोरंजन का भी सबसे बढ़िया साधन है. जब मन किया तब फोन निकाला और झट से हेड़फोन लगाकर म्यूजिक सुनना शुरु कर दिया. आपने गौर किया होगा कि हेड़फोन का जो हिस्सा आप कान में लगाते हैं, यानी स्पीकर, उसपर "L" और "R" का सिंबल बना होता है. क्या आपको भी यही लगता है कि इनका मतलब 'लेफ्ट' और 'राइट' होता है?
क्या है दोनों में फर्क?
शायद आप उन्हें अपने कान में लगाते भी उसी तरीके से हैं. क्या आपने ध्यान दिया है कि ईयरफोन के बाएं भाग को अपने दाएं कान में लगाने और दाएं भाग को बाएं कान में लगाने से कोई फर्क नहीं पड़ता? और जब कोई फर्क ही नहीं पड़ता तो दोनों कानों में आवाज भी सामान्य होती है, तो ईयरफोन पर ये निशान लगाने का क्या फायदा हो सकता है?
ये होती है वजह
वास्तव में, इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं. साउंड इंजीनियरिंग से लेकर रिकॉर्डिंग तक इन कारणों में से ही हैं. सबसे पहला कारण है "रिकॉर्डिंग". जब "स्टीरियो रिकॉर्डिंग" के समय कोई ध्वनि बाईं ओर से आती है, तो आपके हेडफोन के बाएं चैनल में यह अधिक तेजी से सुनाई देगी और दाएं चैनल में थोड़ी धीमी सुनाई देगी.
क्या है लेफ्ट और राइट चैनल का काम?
हेड़फोन में लेफ्ट और राइट चैनल होने का दूसरा कारण है कि इससे दो साउंड्स को अलग करके सुनना और उनके बीच अंतर पहचानना आसान हो जाता है. कई ऐसे गाने होते हैं जहां बजने वाले उच्च स्वरों वाले संगीत यंत्र (उदाहरण के लिए, ढोल) और कम स्वरों वाले संगीत यंत्र (उदाहरण के लिए, बांसुरी) की आवाज एक साथ सुनाई देती है. ऐसे में एक यंत्र की आवाज दूसरे यंत्र की आवाज़ के आगे दब न जाए, इसलिए दोनों की आवाज को एक साथ अलग-अलग चैनल (बाएं या दाएं) में सुनाया जाता है.
फिल्मों में है काफी यूज़
इसके अलावा, फिल्मों में अच्छी साउंड रिकॉर्ड़िंग की जरुरत होती है, जिसके लिए लेफ्ट और राइट चैनल होना जरूरी है. क्या आपने कभी कोई फिल्म अपने लैपटॉप या फोन पर ईयरफोन के जरिए देखी है? अगर हां, तो शायद आपने ध्यान दिया होगा कि स्क्रीन के बाएं ओर से आने वाली किसी गाड़ी की आवाज पहले बाएं कान वाली तरफ ही आती है और सीन के अनुसार धीरे-धीरे ही दाएं ओर पहुंचती है. ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि फिल्म देखने वाले को वहां होने का एहसास हो.
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