Families of Martyrs: भारत आज के समय में दुनिया के सबसे ताकतवर देश की लिस्ट में शामिल हो चुका है. हमारे पास एडवांस टेक्नोलॉजी वाले हथियार, मिसाइल और बेस्ट जवान हैं. यही वजह है कि पड़ोसी देश तमाम कोशिश के बावजूद भारत का कुछ नहीं बिगाड़ पाते. कई बार सीमा की रक्षा करते-करते जवान शहीद हो जाते हैं. शहीद परिवारों का दर्ज कोई चाहकर भी नहीं समझ सकता है. उन परिवारवालों को सरकार अलग-अलग तरीकों से आर्थिक मदद सुनिश्चित करती है. आइए जानते हैं कि केंद्र और राज्य सरकार के तरफ से जो सुविधाएं दी जाती है वे कौन सी हैं?


हर सभंव मदद की कोशिश करती है सरकार


जम्मू-कश्मीर सरकार भी अपनी ज़मीन पर किसी भी राज्य के शहीद होने वाले जवान के परिवार को दो लाख रुपये देती है. शहीद की पत्नी को हवाई और रेल यात्रा में किराये में रियायत मिलती है. इसके अलावा सैनिक की नौकरी के हिसाब से जमा ग्रेच्युटी, फंड, छुट्टी का पैसा भी परिवार को मिलता है. आर्मी वाइव्स वेलफेयर एसोसिएशन की तरफ से 10 हज़ार रुपये दिए जाते हैं. शहीद होने वाले जवान की आखिरी तनख्वाह के बराबर ही पेंशन परिवार को मिलती है. आर्मी सेंट्रल वेलफेयर फंड की तरफ से 30 हज़ार रुपये दिए जाते हैं. शहीद होने वाले जवान के परिवार को केंद्र सरकार की तरफ से 10 लाख रुपये की मदद मिलती है. सरकार एलपीजी गैस की एजेंसी और पेट्रोल पंप में आठ फीसदी का आरक्षण देती है. 


आर्मी ग्रुप इंश्योरेंस के तौर पर 25 लाख रुपये परिवार को मिलते हैं. प्रोफेशनल इंस्टीट्यूट में सीटों पर आरक्षण भी रहता है. पीआईबी के मुताबिक, MBBS में शहीद परिवार वालों कुल 42 और BDS कोर्स में 3 सीटें रिजर्व रखी जाती है. इन सीट पर सिर्फ शहीदों के बच्चों का एडमिशन होता है. इसके अलावा शहीद परिवार के विधवाओं को रेल यात्रा में छूट के लिए कंसेशन कार्ड मिलता है.


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