एनफोर्समेंट डिपार्टमेंट (ED) को लेकर जब भी कोई खबर आती है, हमारे दिमाग में पहला सीन रेड का होता है. दरअसल, बीते कुछ वर्षों से ईडी शब्द हमारे कानों को खूब सुनने को मिल रहा है. ऐसा इसलिए क्योंकि बीते कुछ समय से ईडी यानी एनफोर्समेंट डिपार्टमेंट ने देश के भीतर भ्रष्ट नेताओं, नौकरशाहों और व्यापारियों के खिलाफ खूब छापे मारे और अवैध संपत्ति जब्त की. खैर, आज हम इसके छापों और भ्रष्ट नेताओं, नौकरशाहों और व्यापारियों की बात नहीं करेंगे. बल्कि हम बात करेंगे कि इन छापों में बरामद नगदी या जो कुछ भी मिलता है, उसका ईडी करती क्या है.
कैश का क्या होता है?
दरअसल, जब ईडी किसी रेड में कैश, सामान और प्रॉपर्टी जब्त करती है तो सबसे पहले उसकी एक रिपोर्ट तैयार करती है. इसके साथ ही अगर कैश ज्यादा है तो एसबीआई के अधिकारियों को बुलाया जाता है औक नोट गिनने वाली मशीन से पूरे कैश को गिन कर उसका रिपोर्ट तैयार किया जाता है. पूरा रिपोर्ट तैयार होने के बाद ईडी इस कैश को किसी भी सरकारी खाते में जमा कर देती है. लेकिन इसका इस्तेमाल नहीं होता. इसे आखिरी आदेश तक सेफ रखने के लिए जमा कराया जाता है. हालांकि, अगर किसी सामान या कैश पर कोई खास निशान बना हो, जिससे ईडी को भविष्य में कोई और सुबूत मिल सकता है तो उस चीज को एक लिफाफे में रख कर लॉकर में डाल दिया जाता है.
अंत में उस सामान का क्या होता है
अंत में जब सब कुछ जमा करा लिया जाता है तब इन रुपयों और चीजों को अंतिम कुर्की के लिए अदालत के सामने पेश किया जाता है. जब तक इससे संबंधित मुकदमा समाप्त नहीं होता, तब तक सभी चीजें बैंक में जमा होती हैं. मुकदमा का फैसला आने के बाद इसकी कुर्की कर दी जाती है. लेकिन अगर केस के दौरान आरोपी दोषी नहीं ठहराया जाता और सारी संपत्ति लीगल निकलती है तो सूत समेत सब कुछ आरोपी को वापिस कर दिया जाता है और उसे बकायदा कोर्ट की ओर से बाइज्जत बरी कर दिया जाता है.
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