Knuckle Cracking: आपने कई लोगों को देखा होगा कि उनको बैठे-बैठे उंगलियां चटकाने की आदत होती है. चाहे वो कुछ काम कर रहे हों, या फिर अगर स्ट्रेस में हैं तो भी उंगलियां चटकाने से उनको बहुत आराम मिलता है. कई बार ऐसा करना लोगों की आदत में शुमार हो जाता है और वो कहीं पर भी बैठकर ये काम करने लगते हैं. लेकिन उंगलियां चटकाना धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों लहजों से अच्छा नहीं माना गया है. यही वजह से है कि घर बड़े बुजुर्ग से लेकर डॉक्टर्स भी ऐसा करने के लिए मना करते हैं. आज हम आपको इसके पीछे के दोनों राज बताते हैं.
धर्म के अनुसार उंगलियां क्यों नहीं चटकानी चाहिए
धार्मिक मान्यताओं की मानें तो उंगलियां चटकाने के लक्ष्मी रुष्ट हो जाती हैं और इसका असर इंसान की आर्थिक स्थिति पर भी देखने को मिलता है. कई लोगों का कहना है कि इसकी वजह से कुंडली में मौजूद ग्रहों की स्थिति बिगड़ती है, जिससे कि अशुभ फल मिलता है. ऐसा भी कहा जाता है कि उंगलियां चिटकाने से घर में बरकत नहीं होती और इंसान का जीवन दुखों में रहता है.
उंगलियां चटकाने पर क्यों आती है आवाज
वैज्ञानिक लिहाज से मानें तो उंगलियां चटकाने में जो प्रॉसेस होता है, वही बॉडी के सभी ज्वाइंट्स को चटकाने में भी होता है. दरअसल इन ज्वाइंट्स के बीच में एक फ्लूइड मौजूद होता है, जिसे कि सायनोवियल फ्लूइड कहा जाता है. जब भी आप उंगलियां चिटकाते हैं तो ये फ्लूइड गैस रिलीज करता है, जिससे कि बबल्स बनते हैं. जब यही बबल्स फूटते हैं तो उंगलियां चटकाने पर चट-चट की आवाज आती है. कई बार आपने ये भी नोटिस किया होगा कि जब आप तेजी से चलते हैं, तो भी ज्वाइंट्स से आवाज आती है. ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि ये साउंड भी नॉर्मल बुलबुले के फूटने का होता है. इसकी वजह ज्वाइंट्स को जोड़कर रखने वाले टेंडन्स होते हैं, जो कि हड्डियों से मसल्स को जोड़े रखते हैं.
क्या उंगलियां चटकाने से आर्थराइटिस हो सकता है?
रिपोर्ट्स की मानें तो ये फ्लूइड हड्डियों में ग्रीसिंग का काम करता है और उंगलियां चटकाने से वो कम होने लगता है. अगर आप ज्यादा उंगलियां चटकाते हैं तो ये फ्लूइड धीरे-धीरे कम होने लगता है और जोड़ों की बीमारी यानि आर्थराइटिस हो सकता है. हालांकि इसका कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. उंगलियां चटकाने को लेकर कई तरह की स्टडीज हुई हैं. बहुत सारी मेडिकल स्टडीज से मानती हैं कि अगर उंगलियां चटकाने में आपको दर्द नहीं हो रहा है, तब तो ये ठीक है.
दरअसल एक रिसर्चर Donald L Unger ने करीब 60 साल तक अपने एक हाथ की उंगलियां चटकाई. लेकिन दूसरे हाथ की उंगलियां नहीं चटकाईं. वो ये समझना चाहते थे कि क्या ऐसा करने से सच में आर्थराइटिस होता है. लेकिन 60 साल के इस प्रॉसेस का नतीजा ये रहा कि उनके दोनों हाथ एक जैसे थे और आर्थराइटिस जैसी कोई समस्या नहीं थी.