Rainbow: प्रकृति में चारों ओर खूबसूरत नजारे देखने को मिलते हैं. बरसते बादल, बहते झरने और टूटते तारे ना जाने कितने ऐसे तमाम दृश्य हैं जो हर किसी का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करते हैं. इन्हीं नजारों में एक खूबसूरत नजारा है इंद्रधनुष का बनना. आपने भी इस खूबसूरत नज़ारे को जरूर देखा होगा. सात रंगों का यह आकर्षक नजारा, मानो आसमान में कोई सिंहासन लग गया हो. जब यह बनता है तो हर किसी की नजर कुछ पलों के लिए इसपर टिक जाती है. क्या आपने कभी सोचा है यह इंद्रधनुष (Rainbow) कैसे और क्यों बनता है? आइए आज हम आपको बताते हैं.
क्या है इंद्रधनुष?
बारिश में मौसम में आसमान में दिखाई देने वाला इंद्रधनुष एक बहुरंगी चाप (arc) है, जो प्रकाश के पानी की गिरती हुई बूंदों से टकराने पर अपवर्तन और परावर्तन की घटना से बनता है. इंद्रधनुष में सात रंग दिखाई देते हैं जो तरंगदैर्ध्य के अनुसार व्यवस्थित क्रम में होते हैं, सबसे पहले लंबी तरंग दैर्ध्य और अंत में सबसे छोटी तरंगदैर्ध्य का प्रकाश होता है. इंद्रधनुष में लाल, नारंगी, पीला, हरा, नीला, जामुनी और बैंगनी रंग होता है. दरअसल, इंद्रधनुष दृष्टि का एक भ्रम होता है, जिसका असल में कोई वजूद नहीं होता है. आप समुद्री स्प्रे या झरनों के आसपास भी ऐसे छोटे मोटे इंद्रधनुष को बनता हुआ देख सकते हैं. इंद्रधनुष का दिखना इस बात पर निर्भर करता है कि पृथ्वी पर हमारी स्थिति क्या है, यानी हम कहाँ खड़े हैं और सूर्य प्रकाश का कोई अन्य स्रोत कहां चमक रहा है.
कैसे और क्यों बनता है इंद्रधनुष?
इंद्रधनुष प्रकाश के अपवर्तन और परावर्तन की घटना से बनता है. यह तब बनता है जब सूर्य का प्रकाश बारिश की बूंदों से होता हुआ दर्शक के सामने एक सटीक कोण (42°) पर पड़ता है. पानी की बूंद में प्रवेश करने वाला प्रकाश सबसे पहले अपवर्तित होता है और फिर पीछे से वापस परावर्तित होता है. यह परावर्तित प्रकाश जब बूंद को छोड़ते हुए बाहर निकलता है तो कई कोणों पर दोबारा अपवर्तित होता है. जिससे यह फैलाव के साथ सात अलग-अलग रंगों में विभक्त हो जाता है. जिनमें सबसे ऊपर लाल फिर नारंगी, पीला, हरा, नीला, जामुनी और सबसे नीचे बैंगनी रंग होता है.
इंद्रधनुष कब बनता है?
इंद्रधनुष एंटीसोलर पॉइंट के आसपास एक वृत्ताकार चाप बनाता है. एंटीसोलर पॉइंट सूर्य के ठीक विपरीत आपके सिर की छाया पर स्थित होता है. बारिश के दौरान या बाद में बनने वाला इंद्रधनुष दोपहर में दिखाई नहीं देता. उस समय सूर्य बिल्कुल बीच में होता है और अधिकांश अक्षांशों पर 42° वृत्त क्षितिज के नीचे होता है. इसीलिए, इंद्रधनुष बरसात के बाद सुबह या शाम को जब सूर्य पूर्व या पश्चिम दिशा में होता है, तब ही दिखाई देते हैं.
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