देश के तमाम हाइवे पर बने टोल प्लाजा पर आपको अब जाम में नहीं फंसना पड़ेगा, क्योंकि टोल प्लाजा का सिस्टम अब बंद हो रहा है. केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने शुक्रवार (26 अगस्त) को टोल प्लाजा सिस्टम बंद करने का ऐलान किया. साथ ही, उन्होंने बताया कि देश में सैटेलाइट बेस्ड टोल कलेक्शन सिस्टम लागू होने वाला है. आइए जानते हैं कि सैटेलाइट बेस्ड टोल कलेक्शन सिस्टम क्या है? यह कैसे काम करेगा और बैंक खाते से डायरेक्ट पैसा कैसे कट जाएगा?


क्या है सैटेलाइट बेस्ड टोल कलेक्शन सिस्टम?


अभी तक गाड़ियों को टोल देने के लिए टोल प्लाजा पर रुकना पड़ता था. इसमें काफी मैनपावर लगता था. वहीं, कई बार तगड़ा जाम भी लग जाता था. फास्टैग आने के बाद मैनपावर में कटौती तो हुई, लेकिन सर्वर में प्रॉब्लम होने पर जाम की दिक्कत बरकरार थी. अब सैटेलाइट बेस्ड टोल कलेक्शन सिस्टम में टोल कार में लगे ट्रैकिंग सिस्टम के माध्यम से ही कट जाएगा. इसके लिए सैटेलाइट खुद ही कार से तय की गई दूरी कैलकुलेट कर लेगा और उसके हिसाब से टोल कट जाएगा. इसी सिस्टम को सैटेलाइट बेस्ड टोल कलेक्शन सिस्टम या जीपीएस बेस्ड टोल कलेक्शन सिस्टम कहा जा रहा है.


यह सिस्टम कैसे करेगा काम?


सैटेलाइट बेस्ड टोल कलेक्शन सिस्टम कार में लगे OBU यानी ऑन-बोर्ड यूनिट की मदद से काम करेगा. इसी ओबीयू की मदद से सैटेलाइट कार से तय दूरी को ट्रैक कर लेगा. बता दें कि इस नए सिस्टम के लिए कार में ओबीयू लगवाना होगा. यही ओबीयू कार की हर डिटेल जुटाएगा, जिसे हाईवे पर लगे कैमरे सैटेलाइट से शेयर करेंगे, जिसके बाद सैटेलाइट से ही टोल टैक्स कट जाएगा. इस सिस्टम में आपको ओबीयू से जुड़े वॉलेट में पैसा रखना होगा. फिलहाल कारों में ओबीयू नहीं आता है, जिसे मार्केट से लगवाना होगा. माना जा रहा है कि टोल का यह सिस्टम लागू होने के बाद कारों में ओबीयू पहले से लगा हुआ आने लगेगा. 


इस सिस्टम से क्या होगा फायदा?


केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी का दावा है कि पूरी दुनिया में यह अपने तरह का पहला टोल कलेक्शन सिस्टम है, जिसमें जीपीएस बेस्ड टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जा रहा है. नया टोल कलेक्शन सिस्टम लागू होने से वाहन चालकों को टोल पर रुकना नहीं पड़ेगा. इससे हाइवे पर न तो जाम लगेगा और न ही लोगों का वक्त बर्बाद होगा. माना जा रहा है कि इस सिस्टम से ट्रैवलिंग और ज्यादा आसान हो जाएगी.


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