ब्रिटेन आम चुनाव के बाद अब दुनियाभर में अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव की चर्चा हो रही है. हालांकि राष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए हुई पहली बहस में खराब प्रदर्शन के बाद जो बाइडन के स्वास्थ्य को लेकर कई तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं. अमेरिका में जो बाइडन के विपक्ष और समर्थन करने वाले लोग अब उनका कॉग्निटिव टेस्ट कराने की मांग कर रहे हैं. आज हम आपको बताएंगे कि आखिर कॉग्निटिव टेस्ट क्या होता है और ये कब कराया जाता है.
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव
राष्ट्रपति पद के चुनाव की प्रक्रिया के तहत अटलांटा में 27 जून को पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ बहस हुई थी. जिसमें खराब प्रदर्शन के बाद बाइडन की लोकप्रियता की ‘रेटिंग’ गिर गई है. जानकारी के मुताबिक जिसके बाद उन्हीं की डेमोक्रेटिक पार्टी के कुछ नेताओं ने उनसे राष्ट्रपति पद के चुनाव की दौड़ से बाहर होने का आग्रह किया था. हालांकि बाइडन ने अपने स्वास्थ्य से जुड़ी चिंताओं और उनके चुनावी दौड़ से बाहर होने को लेकर लगाई जा रही अटकलों को खारिज किया है. इस दौरान 81 साल के बाइडन ने कहा था सिर्फ ‘सर्वशक्तिमान ईश्वर’ ही उन्हें मुकाबले से बाहर होने के लिए राजी कर सकते हैं.
क्या है कॉग्निटिव टेस्ट?
अब सवाल ये है कि कॉग्निटिव टेस्ट क्या होता है. आखिर अमेरिका में लोग क्यों बाइडन के लिए कॉग्निटिव टेस्ट कराने की मांग कर रहे हैं. अमेरिका के कुछ नेताओं और जनता का मानना कि शारीरिक और मानसिक तरीके से बाइडन बहुत बूढ़े हैं. इसीलिए व्हाइट हाउस की दौड़ में बने रहने के लिए बाइडन कॉग्निटिव यानी संज्ञानात्मक टेस्ट कराने की मांग की गई है.
कब होता है ये टेस्ट
अमेरिका में बाइडन के कई समर्थक और विपक्षी लोग चाहते हैं कि वह कॉग्निटिव टेस्ट कराकर चुनाव लड़े. बता दें कि इस टेस्ट में मस्तिष्क के कार्य जैसे सोचना, सीखना, याद रखना और निर्णय और भाषा का उपयोग करना शामिल है. कॉग्निटिव टेस्ट एक मान्य प्रक्रिया है, जो कमियों, उनकी घटना के कारणों और मस्तिष्क के क्षेत्रों को प्रभावित करने की पहचान करने का प्रयास करती है.
एक्सपर्ट के मुताबिक कॉग्निटिव टेस्ट उन लोगों के लिए है, जिनकी याददाश्त कमजोर है. ये टेस्ट उन लोगों को कराना चाहिए जिनकी याददाश्त कम हो रही है. जिन लोगों को ध्यान केंद्रित करने या निर्णय लेने में कठिनाई होती है, उन्हें भी यह टेस्ट कराना चाहिए. हालांकि कॉग्निटिव टेस्ट कराने वालों के लिए उम्र एक महत्वपूर्ण कारक है. क्योंकि 60 साल का होने के बाद हर दशक में डिमेंशिया का खतरा बढ़ जाता है. 75 साल की उम्र के बाद यह बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है.
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