COP 28 Meeting: सीओपी का मतलब पार्टियों का सम्मेलन(Conference of the Parties) है. यह एक वार्षिक बैठक है, जहां संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देश जलवायु परिवर्तन से निपटने में कारगर उपाय का आकलन करने और यूएनएफसीसीसी के दिशानिर्देशों के तहत जलवायु कार्रवाई की योजना बनाने के लिए बुलाते हैं. बैठक का औपचारिक नाम जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन या संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन के दलों का कॉन्फ्रेंस है. पहला COP 1995 में बर्लिन में आयोजित किया गया था. पिछले साल का COP 27 मिस्र के शर्म अल शेख में आयोजित किया गया था. अभी तक COP के कुल 27 बैठकें हो चुकी है.
इन देशों के पास होता है विशेष अधिकार
सीओपी के बैठक में लिए गए निर्णयों को वैश्विक अधिकार प्राप्त हो सकता है. संयुक्त राष्ट्र प्रणाली में संयुक्त राज्य अमेरिका और रूस जैसे शक्तिशाली देशों के पास वानुअतु या साओ टोमे और प्रिंसिपे जैसे छोटे द्वीप देशों के समान मतदान अधिकार हैं. साथ ही निर्णय केवल सर्वसम्मति से ही लिए जा सकते हैं. संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देश वार्ता में भाग लेने के लिए प्रतिनिधि भेजते हैं. ऑब्जर्वर ऑर्गेनाइजेशन भी प्रतिनिधि भेजते हैं साथ ही इंडस्ट्री प्रतिनिधि और पैरवीकार भी भाग लेते हैं.
COP 28 से क्या है उम्मीद?
COP 28 की मेजबानी दुबई में संयुक्त अरब अमीरात द्वारा की जा रही है. इस वर्ष के आयोजन में पहला "वैश्विक स्टॉकटेक" शामिल होगा, जो पेरिस समझौते के बाद से प्रगति का व्यापक मूल्यांकन प्रदान करेगा. इसका उद्देश्य जलवायु कार्रवाई पर प्रयासों को संरेखित करना है, जिसमें प्रगति में अंतराल को पाटने के उपाय भी शामिल हैं. COP 28 जलवायु अनुकूलन पहलों के साथ-साथ शमन पर भी प्रकाश डालेगा. ये चार प्रमुख विषयों के अंतर्गत आएंगे- स्वास्थ्य, जल, भोजन और प्रकृति. अंत में COP 28 उच्च उत्सर्जन क्षेत्रों और निजी क्षेत्र के तेल और गैस संगठनों सहित विस्तारित हितधारक भागीदारी को प्रदर्शित करने वाला पहला बैठक होगा. बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्त अरब अमीरात की COP28 की अध्यक्षता के लिए भारत के पूर्ण समर्थन का आश्वासन दिया था. जब वह दुबई दौरे पर थे तब उन्होंने वहां संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन के मनोनीत अध्यक्ष सुल्तान अल जाबेर के साथ सतत विकास और द्विपक्षीय ऊर्जा सहयोग को आगे बढ़ाने के तरीकों पर सार्थक बातचीत की थी.
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