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अंतरिक्ष में क्या होता है डार्क मैटर और डार्क एनर्जी, क्या इन्हीं में छिपा है ब्रह्मांड का रहस्य

डार्क एनर्जी ब्रह्मांड के विस्तार को तेज कर रही है. 1998 में जब वैज्ञानिकों ने पाया कि ब्रह्मांड का विस्तार धीमा होने की बजाय तेज हो रहा है, तब उन्होंने डार्क एनर्जी की परिकल्पना की.

डार्क मैटर और डार्क एनर्जी ऐसे रहस्यमय तत्व हैं, जिनके बारे में विज्ञान की समझ अभी भी अधूरी है. ये दोनों तत्व मिलकर हमारे ब्रह्मांड का अधिकांश हिस्सा बनाते हैं. लेकिन इनके बारे में अभी तक बहुत कम ही जानकारी मिल पाई है. चलिए आज इस आर्टिकल में हम आपको बताते हैं कि आखिर ये दोनों चीजें हैं क्या और इन दोनों के बीच अंतर क्या है.

डार्क मैटर किसे कहते हैं

डार्क मैटर एक ऐसा पदार्थ है जिसे सीधे तौर पर देखा नहीं जा सकता. यह न प्रकाश को अवशोषित करता है और न ही उत्सर्जित. इसकी उपस्थिति का अनुमान हमें केवल इसके गुरुत्वीय प्रभावों यानी ग्रेविटेशनल फोर्स से मिलता है. ब्रह्मांड में जो भी तारे, ग्रह और अन्य दिखाई देने वाले पदार्थ हैं, वे केवल 5% हैं. जबकि लगभग 27% हिस्सा डार्क मैटर का है.

डार्क मैटर का मुख्य कार्य आकाशगंगाओं को एक साथ बांधे रखना है. अगर ये ना हो तो आकाशगंगाओं के तारे एक दूसरे से बहुत ज्यादा दूर चले जाते. वैज्ञानिकों ने अपनी खोज में पाया कि आकाशगंगाओं का कुल द्रव्यमान उनके दिखाई देने वाले द्रव्यमान से कहीं अधिक है. इसी से यह निष्कर्ष निकला कि वहां कोई अदृश्य द्रव्यमान होना चाहिए, जिसे हम डार्क मैटर कहते हैं. डार्क मैटर के संभावित कणों के बारे में कई सिद्धांत हैं, लेकिन इन्हें प्रत्यक्ष रूप से पकड़ा नहीं जा सका है. वैज्ञानिक अब ऐसे डिटेक्टरों को बनाने की कोशिश कर रहे हैं, जिनकी मदद से इन्हें पहचाना जा सके.

डार्क एनर्जी किसे कहते हैं

डार्क एनर्जी एक रहस्यमय ऊर्जा है, जो ब्रह्मांड के विस्तार को तेज कर रही है. 1998 में जब वैज्ञानिकों ने पाया कि ब्रह्मांड का विस्तार धीमा होने के बजाय तेजी से हो रहा है, तब उन्होंने डार्क एनर्जी की परिकल्पना की. डार्क एनर्जी ब्रह्मांड के कुल द्रव्यमान-ऊर्जा का लगभग 68% हिस्सा बनाती है. डार्क एनर्जी की प्रकृति अब तक पूरी तरह से समझ नहीं आई है. यह ब्रह्मांड के हर कोने में मौजूद मानी जाती है और इसके कारण आकाशगंगाओं के बीच की दूरी समय के साथ बढ़ती जाती है. इसके प्रभाव को समझने के लिए वैज्ञानिकों ने कई मॉडल्स पेश किए हैं, जिनमें कॉस्मोलॉजिकल कॉन्स्टैंट मॉडल सबसे लोकप्रिय है, जिसे आइंस्टीन ने अपने सामान्य सापेक्षता के सिद्धांत में शामिल किया था.

डार्क मैटर और डार्क एनर्जी में क्या अंतर होता है

डार्क मैटर और डार्क एनर्जी, दोनों ही ब्रह्मांड के रहस्यमय तत्व हैं, लेकिन इनके कार्य और प्रभाव अलग-अलग हैं. डार्क मैटर का कार्य आकाशगंगाओं और अन्य खगोलीय पिंडों को गुरुत्वाकर्षण बल के माध्यम से बांधे रखना है. इसे ब्रह्मांड का "ग्लू" भी कहा जा सकता है, जो आकाशगंगाओं को एक साथ बनाए रखता है.

वहीं, डार्क एनर्जी एक विकर्षक ऊर्जा (Repellent energy) है, जो ब्रह्मांड के विस्तार को तेज कर रही है. जहां डार्क मैटर आकाशगंगाओं को जोड़ने का काम करता है, वहीं डार्क एनर्जी उन्हें एक-दूसरे से दूर धकेल रही है. इसके प्रभाव से ब्रह्मांड का विस्तार तेजी से हो रहा है और इस विस्तार की दर समय के साथ बढ़ रही है.

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