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क्या होती है DNA जांच?...ब्लड, मुंह की लार, बाल के अलावा शरीर के और किन हिस्सों से लिया जाता हैं सैंपल?

DNA Analysis: किसी भी बड़े से बड़े आपराधिक केस को बायोलॉजिकल सैंपल के आधार आसानी से सॉल्व किया जा सकता है. मुख्य रूप से डीएनए एनालिसिस के छह चरण होते हैं. आइए इसके पूरे प्रोसेस को समझते हैं.

What is DNA Analysis:  दिल्ली में हुए श्रद्धा वॉकर के मर्डर केस में अब DNA जांच की जाएगी. जिसमें लगभग दो हफ्तों का वक्त लगेगा. आरोपी आफताब पूनावाला ने श्रद्धा के शरीर के 35 टुकड़े किए थे. फॉरेंसिक एक्सपर्ट का कहना है कि शरीर के अलग-अलग हिस्सों की DNA सैम्पलिंग काफी चुनौती भरी रहेगी, क्योंकि इन हिस्सों को काफी समय हो चुका है. सवाल यह बनता है कि इस जांच में इतना समय क्यों लगता है? यह जांच कैसे की जाती है और इस जांच के लिए शरीर के किन-किन हिस्सों की जांच की जाती है. आइए जानते हैं.

क्यों होता है DNA एनालिसिस?
डीएनए इंसानी शरीर की एक बहुत ही जटिल संरचना होती है. यह हमें हमारे माता-पिता, पूर्वजों से विरासत में मिलता है. हर इंसान का DNA कई मामलोंं में बिल्कुल यूनिक होता है. किसी इंसान के DNA से उसकी पिछली पीढ़ी की जानकारी मिलती है. इसके सैंपल को मैच करके इंसानों के संबध की जानकारी मिलती है. श्रद्धा के डीएनए सैंपल को भी उसके माता पिता के डीएनए से मैच किया जाएगा. इसके अलावा, लोग अन्य कई मामलों में भी डीएनए टेस्ट करवाते हैं. आपने फिल्मों में भी देखा होगा कि अपनी पत्नी पर शक होने पर उसका पति बच्चे के पिता की जानकारी निकालने के लिए डीएनए टेस्ट करवाता है. क्राइम सीन पर क्रिमिनल की पहचान के लिए भी डीएनए टेस्ट की ही मदद ली जाती है.

कहां से लिया जाता है सैंपल?
DNA की जांच करने के लिए सैंपल के तौर पर इंसान का खून, लार, थूक, नाखून, बाल, दांत, हड्डियां, यूरिन और वीर्य का इस्तेमाल किया जाता है. किसी भी इंसान का डीएनए सैंपल उसके दस्ताने, कपड़े, यंत्र, हथियार, टूल्स, मास्क, टोपी, सेक्सुअल असॉल्ट एविडेंस किट, अंडरगारमेंट्स, बिस्तर, गंदे कपड़ों, कटे हुए नाखून, कप, बॉटल, सिगरेट के बड्स, टूथपिक, टूथब्रश, चेहरा पोंछ कर फेके गए रुमाल या नैपकिन, कंघी, कंडोम, चश्मा, लिफाफे आदि से लिया जा सकता है. ऐसी ही जगहों से संधिग्ध की डीएनए प्रोफाइल बनाई जाती है और सभी संदिग्धों के डीएनए से मिलान कराया जाता है. 

बायोलॉजिकल सैंपल सबसे जरूरी
किसी भी बड़े से बड़े आपराधिक केस को बायोलॉजिकल सैंपल के आधार आसानी से सॉल्व किया जा सकता है. क्राइम सीन पर मिलने वाले बायोलॉजिकल सैंपल अपराधी का पता लगाने के लिए सबसे जरूरी सबूत होते हैं. हम जब किसी चीज को छूते हैं तो हमारी स्किन की डेड कोशिकाएं उसपर चिपक जाती हैं. इन सैंपल्स को लो-लेवल डीएनए (Low-level DNA) या टच डीएनए (Touch DNA) कहते हैं. इन्हें क्राइम सीन, पीड़ित के शरीर या उसके घाव आदि से हासिल किया जा सकता है. फिंगरप्रिंट्स भी इसी कैटेगरी के सैंपल होते हैं.

डीएनए एनालिसिस प्रक्रिया
मुख्य रूप से डीएनए एनालिसिस के छह चरण होते हैं. पहले स्टेप में को बोलते हैं एक्ट्रैक्शन, इसमें डीएनए को कोशिका से बाहर निकाला जाता है. दूसरा है क्वांटिटेशन...मतलब यह पता करना कि कितना डीएनए मिला है. तीसरा है एम्प्लीफिकेशन. इसमें डीएनए की कई कॉपीज़ तैयार की जाती हैं. चौथा होता है सेपरेशन यानि एम्प्लीफाइड डीएनए प्रोडक्ट को अलग-अलग करना. फिर आता है एनालिसिस और इंटरप्रिटेशन. इसमें क्वांटिटी और क्वालिटी के हिसाब से डीएनए की तुलना होती है. इसे प्रोफाइलिंग भी कहा जाता है. सबसे अंत में आता है क्वालिटी एश्योरेंस... इसमें डीएनए एनालिसिस की रिपोर्ट को तकनीकी आधार पर जांचा जाता है कि वह कितनी सटीक है. 

क्यों लगेगा 2 हफ्ते का समय?
सबसे पहले तो DNA जांच के लिए गए सैम्पल की कोशिका से DNA को अलग किया जाता है. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, दांत या हड्डी से DNA निकालने में ज्यादा समय लग जाता है. श्रद्धा के मामले में उसकी हड्डियां काफी समय तक खुले में पड़ी रहीं. इसीलिए इसके DNA में किसी दूसरे डीएनए के मिक्स होने की संभावना भी है. एक्सपर्ट्स को इस बात को खासतौर पर ध्यान में रखते हुए जांच करनी होगी. इसके अलावा हड्डियों से DNA निकालने और उसे प्राॉसेस करने में भी समय लगता है. श्रद्धा की हड्डियों से डीएनए एनालिसिस के लिए फॉरेंसिक एक्सपर्ट्स ने दो हफ्ते का समय लगने की बात कही है. हालांकि, यह समय घट-बढ़ भी सकता है, क्योंकि यह बात भी निर्भर करती है कि हड्डी किस प्रकार की है? उसकी संरचना कैसी है? और वो कितनी मोटी है? 

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