गगनयान में चंद्रयान से क्या अलग है? जो पहली बार अपने साथ भारत के एस्ट्रोनॉट भी लेकर जाएगा
गगनयान मिशन पर काफी सालों से काम चल रहा था. हालांकि, बीते एक दो सालों में इस पर काम तेज हो गया. अगर ये परीक्षण सफल हुआ तो भारत स्पेस टूरिज्म के मामले में कई देशों से आगे पहुंच जाएगा.
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भारत ने हाल ही में चंद्रयान-3 की चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सफल लैंडिंग करा के दुनिया में अपना परचम लहरा दिया था. लेकिन अब गगनयान के जरिए भारत स्पेस की दुनिया में और ऊंचा मुकाम हासिल करेगा. दरअसल, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के नेतृत्व में परीक्षण की शुरुआत 21 अक्टूबर से होने जा रही है. अगर ये परीक्षण सफल हो गया तो भारत मानव अंतरिक्ष उड़ान में सक्षम देशों के क्लब में शामिल हो जाएगा, जो अपने आप में एक बड़ी कामयाबी होगी.
कितना खास ये मिशन
इसरो का ये मिशन अब तक के किसी भी अंतरिक्ष मिशन से बहुत अलग और खास है. दरअसल, अब से पहले तक भारत ने जितने भी स्पेस मिशन लॉन्च किए वो मानव रहित थे. लेकिन इस मिशन में धरती से इंसान स्पेस शटल के साथ अंतरिक्ष में जाएंगे और वहां सात दिन बिताने के बाद वापस पृथ्वी पर आएंगे. आपको बता दें, इसमें बहुत जोखिम होता है...इसलिए दुनिया में कुछ ही देश ऐसे हैं जिन्होंने इस तरह के स्पेस मिशन को सफलतापूर्वक पूरा किया है.
चंद्रयान और गगनयान में बहुत अंतर है
दरअसल, चंद्रयान मानव रहित मिशन था. इसका पूरा कंट्रोल पृथ्वी से ही था. लेकिन गगनयान के साथ ऐसा नहीं है. इस स्पेस शटल के अंदर इंसान भी मौजूद होते हैं. आपको बता दें इस स्पेस शटल के अंदर मौजूद यात्री पृथ्वी की निचली कक्षा में 300 से 400 किलोमीटर की ऊंचाई तक जाएंगे और वहां लगभग सात दिन बिताएंगे. इस अभियान का 21 अक्टूबर को टेस्ट व्हीकल अबॉर्ड मिशन-1 के जरिए परीक्षण शुरू होने वाला है.
काफी समय से हो रहा था इस पर काम
गगनयान मिशन हाल फिलहाल का नहीं है. इसरो इस पर काफी सालों से काम कर रहा था. हालांकि, बीते एक दो सालों में इस पर काम तेज हो गया. एक्सपर्ट्स की मानें तो अगर ये परीक्षण सफल हुआ तो भारत स्पेस टूरिज्म के मामले में कई देशों से आगे पहुंच जाएगा.
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