Halal Certification: हलाल सर्टिफिकेट क्या है और इसे कौन जारी करता है
Halal Certification: उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने राज्य में बिकने वाले पैकेज्ड प्रोडक्ट्स पर हलाल सर्टिफिकेशन को बैन कर दिया है. जानें ऐसे सर्टिफिकेट क्यों जारी होते हैं.
Halal Certification: उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने हलाल सर्टिफिकेशन को बैन कर दिया है. यानी उत्तर प्रदेश में अब कोई भी ऐसा प्रोडक्ट नहीं मिल पाएगा, जो ये बताता हो कि इसमें हलाल है या फिर नहीं... इस फैसले के बाद हलाल को लेकर एक बार फिर विवाद शुरू हो चुका है. विपक्षी दलों ने बीजेपी सरकार को घेरना शुरू कर दिया है, वहीं तमाम संगठन भी इसे लेकर अपनी राय दे रहे हैं. इसी बीच आज हम आपको बताएंगे कि आखिर ये हलाल सर्टिफिकेशन होता क्या है और इसे कौन जारी करता है.
क्या होता है हलाल?
सबसे पहले जान लेते हैं कि हलाल होता क्या है... दरअसल जिस जानवर को जिबह करके मारा जाता है, उसके मांस को हलाल कहा जाता है. जिबह करने का मतलब ये होता है कि जानवर के गले को पूरी तरह काटने की बजाय उसे रेत दिया जाता है, जिसके बाद उसके शरीर का लगभग सारा खून बाहर निकल जाता है. ऐसे ही जानवरों के मांस को हलाल मीट वाला सर्टिफिकेशन मिलता है.
क्या है हलाल सर्टिफिकेशन?
अब बात करते हैं कि ये हलाल सर्टिफिकेशन क्या होता है. हलाल सर्टिफिकेशन को ऐसे समझ सकते हैं कि ऐसे प्रोडकट्स जिन्हें मुस्लिम समुदाय के लोग इस्तेमाल कर सकते हैं. मुस्लिम लोग हलाल प्रोडक्ट्स का ही इस्तेमाल करते हैं. सर्टिफाइड होने का मतलब है कि मुस्लिम समुदाय के लोग ऐसे प्रोडक्ट्स को बिना किसी संकोच खा सकते हैं.
भारत में पहली बार 1974 में हलाल सर्टिफिकेशन की शुरुआत हुई. भारत में हलाल सर्टिफिकेशन के लिए कोई सरकारी संस्था नहीं है. कई प्राइवेट कंपनियां और संस्थाएं ऐसे सर्टिफिकेशन को जारी करती हैं. आरोप है कि हलाल मार्केट को बढ़ाने के लिए कुछ संस्थाएं ऐसे प्रोडक्ट्स पर भी ये सर्टिफिकेशन दे रही हैं, जिन्हें तमाम लोग रोजाना इस्तेमाल करते हैं. यूपी सरकार का कहना है कि सिर्फ मीट की बिक्री पर ही ऐसे सर्टिफिकेशन की जरूरत होती है, तमाम पैकेज्ड फूड पर ऐसे सर्टिफिकेशन की जरूरत नहीं है.
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