अगर आप प्राइवेट सेक्टर में नौकरी कर रहे हैं तो आपको पता होगा कि यहां कंपटीशन कितना ज्यादा है. खासतौर से तब, जब आपकी सैलरी थोड़ी ज्यादा हो जाए. ऐसी स्थिति में अगर आप स्विच करना चाहें तो आपको जल्दी नौकरी नहीं मिलती. आज हम आपको इस खबर में इसी से जुड़ी एक दिक्कत के बारे में बताएंगे जिसकी वजह से आपको बड़ी-बड़ी कंपनियों से अप्लाई करने के बाद भी एचआर का कॉल नहीं आता.  


जॉब हॉपिंग क्या होती है?


जॉब हॉपिंग का मतलब होता है, किसी एक कर्मचारी का अपने करियर के दौरान लगातार छोटी-छोटी अवधि में नौकरी बदलना. यानी जो व्यक्ति जल्दी-जल्दी अपनी नौकरी बदलता है, जॉब हॉपिंग कैटेगरी वाला एम्पलाई कहा जाता है. अब, सवाल उठता है कि किसी व्यक्ति को जॉब हॉपिंग की कैटेगरी में कितनी जल्दी-जल्दी नौकरी छोड़ने पर रखा जाता है. इंटरनेट पर मौजूद जानकारी के अनुसार, अगर कोई व्यक्ति 6 महीने या एक साल या दो साल के अंतराल में लगातार नौकरी बदल रहा है तो उसे कुछ कंपनियां जॉब हॉपिंग की कैटेगरी वाला एम्पलाई मानती हैं और उसे हायर करने से बचती हैं. 


जॉब हॉपिंग वाले कर्मचारियों को क्यों नहीं मिलती नौकरी


अभी हाल ही में रेजिंग केंस कंपनी के सीईओ टॉड ग्रेव्स ने जॉब हॉपिंग को लेकर कहा कि वह इस तरह के कर्मचारियों को रेड फ्लैग मानते हैं. उनका कहना है कि हमारी कंपनी जॉब हॉपिंग कैटेगरी वाले लोगों को हायर नहीं करती. टॉड मानते हैं कि ऐसे लोग सिर्फ अपने से मतलब रखते हैं और ये लोग टीमवर्क नहीं कर पाते. इससे ना सिर्फ कंपनी का काम प्रभावित होता है, बल्कि कंपनी के अन्य कर्मचारी भी प्रभावित होते हैं. इसके अलावा कुछ दिनों पहले लिंक्डइन पर भी एक सर्वे हुआ था, जिसमें कई मैनेजरों ने कहा था कि वह ऐसे लोगों की सीवी आगे नहीं बढ़ाते जो 9 महीने या उससे कम समय में नौकरी बदलते हैं.


किस तरह के लोग करते हैं जॉब हॉपिंग


जॉब हॉपिंग की हैबिट ज्यादातर मिलेनियल्स और जेन जी जनरेशन में देखी जाती है. इस जनरेशन के लोग नौकरियां तेजी से बदलते हैं. दरअसल, पहले जॉब हॉपिंग को लोग अस्थिरता के तौर पर देखते थे, लेकिन आज कल के लोग इसे करियर ग्रोथ की तरह देखते हैं. यही वजह है कि लोग जल्दी-जल्दी नौकरी बदलते हैं.


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