इन दिनों हर तरफ लाउड बजटिंग का बोलबाला है. सोशल मीडिया हो या चाय की टपरी लोग इसी शब्द पर चर्चा कर रहे हैं. लेकिन अब सवाल उठता है कि आखिर ये बला है क्या चीज और इससे कैसे आप अपने खर्चे कंट्रोल कर सकते हैं. सबसे बड़ा सवाल कि क्या आप इसे अपना कर अपना आर्थिक जीवन ट्रैक पर ला सकते हैं. चलिए जानते हैं इन सभी सवालों के जवाब.
क्या होता है लाउड बजटिंग
लाउड बजटिंग का मतलब होता है कि आप उन खर्चों पर लगाम लगाएं जो आपकी आर्थिक क्षमता से ज्यादा हों. इसके अलावा अगर आपके पास पैसा है भी तो आप उसे तब तक ना खर्च करें जब तक कि कोई बहुत जरूरी चीज आपको ना खरीदनी हो. सीधी भाषा में कहें तो सेविंग ज्यादा और खर्च कम. हालांकि, लोग आज कल इससे अलग कर रहे हैं. सोशल मीडिया और निजी जीवन में शोबाजी के चक्कर में लोग अपनी क्षमता से ज्यादा पैसा खर्च करते हैं, इसके चक्कर में ईएमआई और लोन के जंजाल में फंस जाते हैं. इन चक्करों की वजह से उनकी सेविंग पूरी जिंदगी जीरो ही रहती है.
लाउड बजटिंग आया कहां से
लाउड बजटिंग का कॉन्सेप्ट कहां से आया इसकी जानकारी तो नहीं है, लेकिन इस पर पहली बार सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म टिकटॉक पर लूकस बैटल ने एक कंटेंट बनाया था. उन्होंने इस पर शो किया था और कहा था कि ऐसा नहीं है कि मेरे पास पैसे नहीं हैं, बस मैं उन्हें खर्च नहीं करना चाहता.
लाउड बजटिंग के कितने फायदे हैं
जब आप शुरू-शुरू में इसे अपनी जिंदगी में लाना चाहेंगे तो बहुत सारी समस्याएं आएंगी. आपको लगेगा कि आप कंजूस या चिंदी जैसी हरकत कर रहे हैं. लेकिन धीरे-धीरे जब ये आपके जीवन का हिस्सा हो जाएगा तो आपको पता चलेगा कि ऐसा कर के आपने कितनी सेविंग कर ली. लाउड बजटिंग ना सिर्फ आपके खर्चे पर लगाम लगाता है, बल्कि ये आपका भविष्य भी सुरक्षित रखता है. यही वजह है कि आज बहुत से लोग लाउड बजटिंग के सपोर्ट में हैं और इसे अपने जीवन में उतारने की बात करते हैं.
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