Nazool Land Bill: उत्तर प्रदेश में नए नजूल बिल को लेकर काफी चर्चाएं हो रही हैं. विधानसभा में ये बिल पास हो चुका है, लेकिन विधान परिषद में इसे पेश किए जाने से पहले प्रवर समिति को भेजना पड़ा है. इस बील को लेकर बीजेपी में नाराजगी की चर्चाएं हैं. इस बीच चलिए जानते हैं कि आखिर नजूल बिल है क्या और क्या इसके बाद नजूल की जमीन को सरकार बेच सकती है? चलिए जानते हैं.


क्या है नजूल बिल?


आपने कई राज्यों, शहरों या फिर अपने कस्बों में देखा होगा, जहां बोर्ड लगे होते हैं और उनपर लिखा होता हैयह नजूल की जमीनहै. दरअसल ब्रिटिश हुकूमत में भारत में 550 से ज्यादा देसी रियायतें थीं. दरअसल देश में कुछ रियायतें ऐसी थीं जिनकी अंग्रेजों से बनती थी. वहीं कुछ रियासतें ऐसी भी थीं जिन्होंने अंग्रेजों का विरोध किया. कई राजा, महाराजाओं, नवाबों और निजामों ने ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ खुलेआम मोर्चा खोल दिया या अंग्रेजों से लोहा लेने वाले क्रांतिकारियों की मदद की. ब्रिटिश फौज ने इन रियासतों के हुकूमतों से लड़ाई की. इन्हीं लड़ाईयों में जो राजा हारे अग्रेजों ने उनकी जमीनें छीनकर अपने कब्जा कर लिया.


स्वतंत्रता के बाद नाम मिलानजूल भूमि


15 अगस्त 1947 को जब भारत अंग्रेजों के चंगुल से आजा हुआ तो अंग्रेजों को जो नजूल की जमीन अपने कब्जे में ली थी, उसे भी छोड़ना पड़ा. उस समय ज्यादातर रियासतें ऐसी थीं, जिनके पास इन जमीनों पर अपना स्वामित्व साबित करने के लिए उचित जरुरी दस्तावेज ही नहीं थे. दरअसल उस समय अंग्रेजों द्वारा कब्जाई गई जमीन पर राजा महाराज के वंशज अपना अधिकार ही नहीं दिखा पाए. ऐसे में सरकार ने इन जमीनों कोनजूल भूमिनाम देते हुए अपने कब्जे में ले लिया. चूंकि अंग्रेजों के खिलाफ देश के हर हिस्से में विद्रोह हुआ, इसलिए नजूल की जमीन भी लगभग भारत के हर राज्य में है.


क्या नजूल की जमीन बेच सकती है सरकार?


नजूल की जमीन को कई बार सरकार द्वारा फ्री होल्ड कर दिया जाता था. इसके अलावा इस तरह की जमीन को सरकारें स्कूल, अस्पताल, पंचायत भवन और डिस्पेंसरी के लिए एक निश्चित अवधि के पट्टे पर देती है, जिसे लीज भी कहते हैं. ये लीज 15 से 99 साल तक की हो सकती है. संबंधित राज्य सरकारें नजूल भूमि को वापस लेने, लीज कैंसिल करने या रिन्यू करने के लिए स्वतंत्र होते हैं. बता दें देश के हर राज्य में नजूल भूमि से संबंधित अपने-अपने कायदे कानून हैं, लेकिन ज्यादातर मामलों में नजूल भूमि (स्थानांतरण) कानून 1956 लागू होता है. हालांकि उत्तर प्रदेश में ऐसा करना संभव नहीं होगा, जिसकी वजह उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा लाया जा रहा नया कानून है.


यह भी पढ़ें: Manish Sisodia: कोर्ट से जमानत मिलने के बाद विदेश जाने के लिए किससे लेनी होती है इजाजत? जानें क्या होता है नियम