राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) भारत में आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए भारत सरकार द्वारा स्थापित की गई एक केंद्रीय एजेंसी है. जिसका गठन एनआईए अधिनियम, 2008 के तहत किया गया था. इस एजेंसी को 2008 में मुंबई हुए आतंकवादी हमलों के बाद आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए केंद्रीय एजेंसी के रूप में स्थापित किया गया था. बता देें कि राष्ट्रीय जांच एजेंसी में 649 कर्मचारी कार्य करते हैं और यह एजेंसी गृह मंत्रालय के अंतर्गत आती है.
क्या-क्या हैं NIA की शक्तियां?
NIA की शक्तियों की बात करें तो ये मानव तस्करी, जाली मुद्रा या बैंक नोटों से जुड़े अपराध, साइबर आतंकवाद, विस्फोटक पदार्थ से जुड़े अपराध, प्रतिबंधित हथियारों का निर्माण या बिक्री की जांच कर सकता है. इसके अलावा NIA के अधिकारियों के पास इस तरह के अपराधों की जांच के लिए पुलिस अधिकारियों जैसी शक्तियां भी हैं.
साथ ही NIA के पास विदेश में भी घटित ऐसे सूचीबद्ध अपराधों की जांच करने की शक्ति है, जो अंतर्राष्ट्रीय संधियों और अन्य देशों के घरेलू कानूनों के अधीन है. इन सभी चीजों के अलावा केंद्र सरकार के पास NIA को भारत में घटित सूचीबद्ध अपराध के मामलों की जांच के सीधे निर्देश देने के लिए अधिकार हैं.
कौन करता हैै NIA में काम?
NIA के अधिकारियों को भारतीय पुलिस सेवा, भारतीय राजस्व सेवा, राज्य पुलिस, आयकर के साथ-साथ केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों जैसे CRPF, ITBP, BSF आदि में से भी चुना जाता है. इसके अलावा परीक्षा के माध्यम से NIA में नए लोगों की भी भर्ती होती है. NIA ने अबतक लगभग 244 मामले दर्ज किए और जांंच की हैै. जिनमें से 37 मामलों को पूर्ण रूप ससे आंशिक रूप से सुलझा लिया गया है. जबकि 35 मामलों में सजा हुई है. इस एजेंसी द्वारा 92 प्रतिशत मामलों में सजा दिला दी जाती है.
इसके अलावा NIA का काम अंतर्राष्ट्रीय संधियों, समझौतों, सम्मेलनों और संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों, इसकी एजेंसियों और अन्य अंतर्राष्ट्रीय संगठनों की संधियों को लागू करवाना भी हैै.
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