हर धर्म में कई तरह की परंपराओं और रीति-रिवाजों का पालन किया जाता है. हालांकि हर धर्म में कई कुप्रथाएं भी होती हैं, जिनका कई लोग विरोध करते हैं फिर भी वो चली आ रही हैं. आज हम आपको एक ऐसी ही कुप्रथा के बारे में बताने जा रहे हैं. जो महिलाओं के लिए किसी अभिशाप से कम नहीं है. इस प्रथा में पुरुष किसी महिला से महज दो या तीन महीनों के लिए ही शादी करता है, जिसके लिए बकायदा समझौता भी किया जाता है. इस प्रथा को मुतहा प्रथा के नाम से जाना जाता है.


क्या है मुताहा निकाह?


मुस्लिम धर्म में मुताहा निकाह प्रचलित हैं. तीन तलाक के बाद मुस्लिम महिलाएं जिस प्रथा पर प्रतिबंध लगाने की मांग कर रही हैं वो मुताहा निकाह है. दरअसल मुतहा शब्द का मतलब खुशी, मजा या फिर लाभ होता है. ये शब्द ही निकाह जैसे पवित्र रिश्ते पर सवाल खड़े करता है.


एक रिपोर्ट के मुताबिक, अस्थायी विवाह या मुताह निकाह एक प्राचीन इस्लामी प्रथा है. ये प्रथा एक पुरुष और एक महिला को विवाह के संबंध में बांधती है लेकिन सिर्फ सीमित समय के लिए. ऐसा कहा जाता है कि हजारों साल पहले पुरुषों ने लंबी दूरी की यात्रा करते हुए अपनी पत्नी को कम समय के लिए अपने साथ रखने के लिए इस प्रथा का इस्तेमाल किया था. रिपोर्ट्स में ये खुलासा हुआ है कि सुन्नी मुसलमान निकाह मुताहा का पालन नहीं करते हैं, लेकिन शियाओं के बीच इस तरह के विवाह की अनुमति है.


नियम और शर्तों के साथ होता है मुताहा विवाह


एक वेबसाइट के अनुसार, निकाह मुताहा की कुछ अनिवार्य शर्तें और नियम होते हैं जिनमें दोनों पक्षों की आयु 15 वर्ष से अधिक होनी चाहिए, पत्नियों की संख्या पर कोई प्रतिबंध नहीं है, दोनों पक्षों की सहमति अनिवार्य है, निकाहनामा में रॉयल्टी और दहेज की अवधि का उल्लेख किया जाना चाहिए, दोनों पक्षों के बीच शारीरिक संबंध बन सकता है, ये रिश्ता वैध होगा, ऐसे विवाह से पैदा हुए बच्चे वैध माने जाएंगे और माता-पिता दोनों की संपत्ति पर उनका अधिकार होगा, मुताह पत्नी व्यक्तिगत कानून के तहत रखरखाव का दावा नहीं कर सकती. इसके अलावा मुताहा विवाह में तलाक की इजाजत नहीं होती. कई लोग इस विवाह को वैश्यवृत्ति से जोड़कर देखते हैं.                              


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