NOTA in Election: चुनाव के दौर में वोट डालते समय अगर आपको लगता है कि कोई भी उम्मीदवार सही नहीं है तो नोटा का बटन दबाकर आप अपना विरोध दर्ज करा सकते हैं. NOTA के आने के बाद से कई चुनाव हो चुके हैं, लेकिन तब भी इसके तहत लगभग 2 से 3 फीसदी ही मतदान होता है. लेकिन, क्या आप जानते हैं कि अगर इसी NOTA को सबसे ज्यादा वोट मिलते हैं तो क्या होगा ? क्या ऐसा होने पर चुनाव रद्द हो जायेगा और दोबारा चुनाव होगा? आइए आज हम आपको बताते हैं कि नोटा क्या होता है और अगर इसको सबसे ज्यादा वोट मिलें तो क्या होगा...
क्यों पड़ी NOTA की जरूरत?
जब तक देश में नोटा की व्यवस्था नहीं थी तब चुनाव में अगर किसी को लगता था कि उनके अनुसार कोई भी उम्मीदवार योग्य नहीं है, तो वो लोग वोट नहीं डालने ही नहीं जाते थे और इस तरह से उनका वोट जाया हो जाता था. ऐसे में मतदान के अधिकार से लोग वंचित रह जाते थे. ऐसे में साल 2009 में चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट को नोटा का विकल्प उपलब्ध कराने संबंधी मंशा से अवगत कराया था. नोटा की फुल फॉर्म होती है None of the Above, मतलब इनमें से कोई नहीं.
कब आया NOTA?
बाद में नागरिक अधिकार संगठन पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज़ ने भी नोटा का समर्थन करते हुए एक जनहित याचिका दाखिल कराई. जिसके बाद साल 2013 में न्यायालय ने मतदाताओं को नोटा का विकल्प देने का निर्णय किया था. इस प्रकार ईवीएम में एक और विकल्प शामिल हुआ NOTA. इस प्रकार नोटा का विकल्प उपलब्ध कराने वाला भारत विश्व का चौदहवां देश बना.
किन देशों में हैं NOTA
भारत से पहले नोटा का विकल्प 13 देशों में मतदान के समय जनता के लिए उपलब्ध रहता है, जिनमें अमेरिका, कोलंबिया, यूक्रेन, रूस, बांग्लादेश, ब्राजील, फिनलैंड, स्पेन, फ्रांस, चिली, स्वीडन, बेल्जियम, ग्रीस सहित अब इस लिस्ट में 14 वे नंबर पर भारत भी शामिल है. इनमें से कुछ देश ऐसे भी हैं जहां नोटा को राइट टू रिजेक्ट का अधिकार मिला हुआ है. जिसका मतलब है कि अगर नोटा को ज्यादा वोट मिलते हैं तो चुनाव रद्द हो जाता है और जो प्रत्याशी नोटा से कम वोट पता है वो दोबारा चुनाव नहीं लड़ सकता है.
भारत में NOTA
अगर आपको भी लगता है कि अपने देश में नोटा को अधिक वोट मिलने पर चुनाव रद्द हो जायेगा तो आप गलत हैं. भारत में नोटा को राइट टू रिजेक्ट का अधिकार प्राप्त नहीं हैं. जिसका मतलब यह हुआ कि अगर मान लीजिए नोटा को 99 वोट मिले और किसी प्रत्याशी को 1 वोट भी मिला तो 1 वोट वाला प्रत्याशी विजयी माना जायेगा. साल 2013 में नोटा के लागू होने के बाद में चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया कि नोटा के मत केवल गिने जाएंगे पर इन्हे रद्द मतों की श्रेणी में रखा जाएगा. इस प्रकार साफ था कि नोटा का चुनाव के नतीजों पर कोई असर नहीं पड़ेगा.
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