एपल ने अपने iPhone यूजर्स को पैगासस जैसे अटैक का खतरा जताया है. एपल के मुताबिक, आईफोन युजर्स को मर्सनरी स्पाइवेयर के जरिये टारगेट किया जा रहा है. इसके जरिये आईफोन को एक्सेस करने की कोशिश की जा रही है. ऐसे में इसे लेकर एपल ने भारत सहित 98 देशों के अनपे यूजर्स को वॉर्निंग मेल भेजकर सचेत किया है. जहां मर्सनरी स्पाइवेयर का ज्यादा खतरा है.  ऐसे में चलिए जानते हैं कि आखिर ये होता क्या है.


क्या होता है पेगासस स्पाइवेयर?


अब सवाल ये उठता है कि आखिर मर्सनरी स्पाइवेयर होता क्या है? तो बता दें कि इसे इजरायल के NSO ग्रुप की तरह समझा जा सकता है. जिसका मकसद किसी डिवाइस का अनऑथराइज्ड एक्सेस हासिल करना होता है.


बता दें कि स्पाइवेयर यानी जासूसी या निगरानी करने वाला सॉफ्टवेयर होता है. इसके जरिये फोन के कैमरे, माइक, मैसेज और कॉल्स एक्सेस हैकर को मिल जाता है. पेगासस स्पाइवेयर इजारयल के NSO ग्रुप ने ही बनाया था.


कैसे होता है इस्तेमाल?


मर्सनरी स्पाइवेयर अटैकर्स बहुत कम संख्या में कुछ खास लोगों और उनके डिवाइसेज को टारेगट करने के लिए बहुत ज्यादा संसाधनों का इस्तेमाल करते हैं. बता दें कि इन स्पाइवेयर अटैक्स की कॉस्ट लाखों डॉलर होती है. ये कितने खतरनाक होते हैं ये आप इससे ही समझ सकते हैं कि एपल ने इसे लेकर एक एडवाइजरी तक जारी की है. बता दें ये पहली बार नहीं है कि एपल ने ये एडवाइजरी जारी की है, बल्कि इससे पहले भी एपल इसी साल 11 अप्रैल को भी ये एडवाइजरी जारी कर चुका है.


कैसे डिवाइस में करता है प्रवेश?


अब सवाल ये उठता है कि आखिर ये डिवाइस में घुसपैठ करता कैसे है? तो बता दें कि ऐसा तब हो सकता है जब आप किसी अनसेफ वेबसाइट पर जाते हैं, या फिर अनजाने में कोई अनसेफ ऐप इंस्टॉल करते हैं, या कोई फाइल अटैचमेंट भी खोलते हैं. फिर एक बार जब स्पाइवेयर आपके डिवाइस में आ जाता है, तो ये डेटा इकट्ठा करना शुरू कर देता है, जो आपकी वेब एक्टिविट से लेकर स्क्रीन कैप्चर और आपके कीस्ट्रोक्स तक कुछ भी हो सकता है.


वहीं कैप्चर किया गया डेटा स्पाइवेयर क्रिएटर तक पहुंचने के बाद वो इसे या तो सीधे खुद इस्तेमाल करता है या फिर थर्ड पार्टी को बेच देता है. इस डेटा में क्रेडिट कार्ड और बैंक लॉगिन डिटेल्स भी शामिल हो सकती हैं.          


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