क्या होता है निजी मुचलका, जमानत मिलने पर क्यों होता है इसका जिक्र?
अक्सर आपने किसी को जमानत मिलतेे समय मुचलका शब्द जरूर सुना होगा. ऐसे में कई बार आप इन दोनों शब्द के बीच कंफ्यूज भी हो जाते होंगे. तो चलिए आज हम आपको इसका मतलब और इसे कब भरा जाता है ये बताते हैं.
ज्यादातर लोगों में जमानत और मुचलके को लेकर अंतर नहीं पता होता. जिसके चलतेे कई बार कुछ लोगों को परेेशानियों का भी सामना करना पड़ता है. तो चलिए आज हम आपका ये कंफ्यूजन दूर करते हुए बताते हैं कि आखिर सिक्योरिटी बॉन्ड और पर्सनल बॉन्ड में अंतर क्या होता है और ये कब भरेे जाते हैं. साथ ही जमानत के समय इनका जिक्र क्यों होता है.
क्या होता है मुचलका और जमानत?
यदि किसी व्यक्ति को सीधेे-सीधे जेेल न भेजकर छोड़ दिया जाता हैै तो उससे दो तरह के बॉन्ड भरवाए जाते हैं. एक होता हैै सिक्योरिटी बॉन्ड और दूसरा होता है पर्सनल बॉन्ड. आमतौर पर अदालत द्वारा इन्हींं दो तरह के बॉन्ड को जारी करने का आदेश दिया जाता है. कानूनी रूप से देखें तो अदालत किसी भी व्यक्ति को सिर्फ पर्सनल बॉन्ड पर छोड़ सकती है. आम भाषा में सिक्योरिटी बॉन्ड को जमानत और पर्सनल बॉन्ड को मुुचलका कहा जाता है.
बेल बॉन्ड और पर्सनल बॉन्ड में क्या अतंर है?
यदि आप बेल बॉन्ड और पर्सनल बॉन्ड के बीच केे अंतर को समझना चाहतेे हैं तो बता दें कि बेेल बॉन्ड एक प्रकार का समझौता होता है. जिसमें बेल के लिए एक निश्चित राशि मजिस्ट्रेट/अदालत को देनी पड़ती हैै. यदि समझौते का पालन नहीं किया जाता है तो जो भी धनराशी जमा की जाती है उसे जब्त कर लिया जाता है.
वहीं दूसरी ओर पर्सनल बॉन्ड की बात करें तो इसमें किसी भी तरह की राशि जमा नहीं की जाती हैै, लेकिन यदि आप नियमों का उल्लंघन करतेे हैं तो आपको निर्धारित राशि देना पड़ सकता है. इस तरह बेल बॉन्ड और पर्सनल बॉन्ड में साफ अंतर येे है. अब यदि आपको इनमें से किसी भी प्रकार केे बॉन्ड की जरूरत पड़ती है तो आप उसेे आसानी से समझ सकते हैं.
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