What is Psychological Autopsy: दिल्ली के रंगपुरी इलाके से एक बेहद दिल दहलाने वाली वारदात सामने आई है. जहां एक पिता ने अपनी चार बेटियों के साथ मिलकर आत्महत्या कर ली है. साउथ-वेस्ट दिल्ली के रंगपुरी इलाके का यह मामला साल 2018 में हुए बुराड़ी कांड की याद दिला रहा है. जहां एक ही परिवार के 11 लोगों ने आत्महत्या की है. रंगपुरी के मामले में कहां यह भी जा रहा है कि पिता ने पहले अपनी चारों बेटियों की हत्या की और उसके बाद खुद सुसाइड कर ली.
फिलहाल इस मामले में दिल्ली पुलिस जांच कर रही है. वहीं अब दिल्ली पुलिस इस मामले में साइकोलॉजिकल ऑटोप्सी करने जा रही है. क्या होती है साइकोलॉजिकल ऑटोप्सी. कैसे किया जाता है इसका इस्तेमाल. चलिए आपको बताते हैं.
क्या होती है साइकोलाॅजिकल ऑटोप्सी?
जब किसी मौत हो जाती है तो उसके बॉडी के ऑटोप्सी की जाती है. जिसमें डेडबाॅडी की जांच होती है. वैसे ही साइकोलाॅजिकल ऑटोप्सी किसी के मरने के बाद उसके दिमाग की जांच की जाती है. रंगपुरी के इस मामले में दिल्ली पुलिस को शक है कि चारों बेटियों के पिता हीरालाल ने पहले अपनी बेटियों को मारा फिर उसके बाद आत्महत्या कर ली.
पुलिस अब साइकोलाॅजिकल ऑटोप्सी के जरिए यह पता लगाने की कोशिश करेगी कि आखिर हीरालाल ने आखिर इस तरह का कदम क्यूं उठाया. साइकोलाॅजिकल ऑटोप्सी में पुलिस व्यक्ति की मानसिक स्थिति जांचने की कोशिश करती है. और किन परिस्थितियों में मौत का कदम उठाया गया होता है यह पता लगाया जाता है. विशेषज्ञों की टीम तैयार की जाती है. जो साइकोलाॅजिकल ऑटोप्सी की प्रोसेस को कंप्लीट करती है.
यह भी पढ़ें: ये था महात्मा गांधी का सबसे दमदार भाषण, आज भी सुनकर बापू को याद करते हैं लोग
कैसे काम करती है साइकोलाॅजिकल ऑटोप्सी?
साइकोलॉजिकल ऑटोप्सी में साइकोलॉजिस्ट और साइकेट्रिस्ट के अलावा अलग-अलग फील्ड के एक्सपर्ट के साथ मिलकर एक टीम बनाई जाती है. जिससे करने वाले इंसान की मेंटल कंडीशन और मौत के वक्त उसके आसपास की सिचुएशंस को समझने का प्रयास किया जाता है. इसके लिए काफी डाटा भी इकट्ठा किया जाता है. जिसमें पुलिस रिपोर्ट जान पहचान वाले लोगों के इंटरव्यू, सोशल मीडिया या फिर ऑनलाइन कोई भी एक्टिविटी, मेंटल इलनेस के प्रीवियस रिकॉर्ड्स देखे जाते हैं.
यह भी पढ़ें: ये था महात्मा गांधी का सबसे दमदार भाषण, आज भी सुनकर बापू को याद करते हैं लोग
इन सभी डेटा को इकट्ठा करके मृत व्यक्ति के जीवन में तनाव, उसकी मानसिक स्थिति और उसके हालिया व्यवहार को समझते हुए एक पैटर्न तैयार किया जाता है. जब उसने घटना को अंजाम दिया उसे वक्त उसकी क्या मेंटल कंडीशन थी. इन सब चीजों की जानकारी इकट्ठी करके एक रिपोर्ट तैयार की जाती है. इसे साइकोलॉजिकल ऑटोप्सी कहा जाता है
यह भी पढ़ें: दुनिया के किस देश में सबसे ज्यादा सुरक्षित हैं महिलाएं, नाम सुनकर रह जाएंगे हैरान