Satellite Hacking: क्या हवा में तैरने वाली सैटेलाइट को भी किया जा सकता है हैक? जान लीजिए जवाब
Satellite Hacking: सैटेलाइट किसी भी देश के लिए बहुत जरूरी है. लेकिन अगर इसे हैक कर लिया जाए तो इससे खतरनाक कुछ नहीं है. हालांकि हैकिंग इतनी भी आसान नहीं है कि कोई इसे घर बैठे कर ले.

Satellite Hacking: सैटेलाइट किसी भी देश के विकास के लिए बहुत जरूरी है. यह जेपीएस नेविगेशन से लेकर इंटरनेशनल कम्युनिकेशन और सेना की निगरानी तक हर चीज का समर्थन करता है. हालांकि यह सभी काम सैटेलाइट को हैकिंग के लिए प्राइम टार्गेट बनाते हैं. स्ट्रॉन्ग साइबर सिक्योरिटी प्रोटेक्शन सेटेलाइट को डिजाइन करने और उनके परीक्षण का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं. वो यह सुनिश्चित करता है कि ऑपरेटर खतरों को ब्लॉक करे या फिर जवाब दे सकते हैं. लेकिन आज के दौर में तेजी से बढ़ती हुई तकनीक इसके लिए भी खतरा बन गई है. चलिए जान लेते हैं कि क्या सैटेलाइट भी हैक हो सकती है.
क्या सच में हैक हो सकती है सैटेलाइट
किसी दुश्मन देश की सैटेलाइट को हैक करके उसे अपने अनुसार कंट्रोल करना या जानकारी निकालने को साइबर वारफेयर कहा जाता है. लेकिन अभी भी वही सवाल है कि क्या सैटेलाइट को हैक किया जा सकता है? तो इसका जवाब है, हां सैटेलाइट को हैक कर सकते हैं. लेकिन यह इतना भी आसान काम नहीं है. अगर कोई चाहे कि किसी दुश्मन देश की सैटेलाइट को घर बैठे हैक कर लिया जाए तो यह असंभव काम है. क्योंकि अगर कोई किसी ऐसी सैटेलाइट को हैक करेगा जो कि एंटरटेनमेंट के लिए काम करती है तो उससे कोई वैल्यूएबल जानकारी नहीं मिलेगी.
किस तरह की सैटेलाइट की जा सकती है हैक
उदाहरण के लिए मान लीजिए कि पीएम जिस फोन से बात करते हैं, उसके सैटेलाइट का एक्सेस सिर्फ प्रोफेशनल और बहुत जरूरी लोगों को ही दिया जाता है. क्योंकि उसकी सैटेलाइट को अगर हैक किया जाएगा तो जाहिर सी बात है कि जरूरी जानकारी मिलेगी, जो कि किसी दुश्मन देश के पास जाएगी. अगर किसी को इस तरह की हैकिंग करानी होती है, तो इसके लिए वह देश अरबों रुपये खर्च करके प्रोफेशनल्स की टीम बैठाता है, जो ऐसा करने में माहिर होते हैं. तब कहीं जाकर ऐसा हो पाता है. नहीं तो सैटेलाइट हैकिंग कोई आसान काम नहीं है.
कैसे काम करता है एंटी सैटेलाइट वेपन
एक एंटी सैटेलाइट वेपन होता है, जैसा कि नाम से ही समझ में आता है कि यह सैटेलाइट को नष्ट करने का काम करता है. रूस, अमेरिका के अलावा चीन और भारत के पास भी एंटी-सैटेलाइट वेपन है. भारत ने 2019 में मिशन शक्ति के तहत ASAT को टेस्ट किया था. यह कुछ इस तरीके से काम करता है कि जैसे ही मिसाइल वायुमंडल के बाहर पहुंचती है तो एंटी-सैटेलाइट का सिरा उससे अलग हो जाता है, जिसे सैटेलाइट को खत्म करना है. इसके बाद वह तेजी से सैटेलाइट से टकरा जाता है और वह तबाह हो जाती है.
ट्रेंडिंग न्यूज
टॉप हेडलाइंस

