क्या होता है सेल्फ हीलिंग रोड प्रोसेस, क्या अपने आप भर जाएंगे सड़कों के गड्डे
देश में सड़कों पर गड्ढा होना एक आम समस्या है. इन गड्ढों के कारण अधिकांश लोग सड़क हादसे में अपनी जान गंवाते हैं.NHAI एक ऐसा मैटेरियल तैयार करने पर विचार कर रही है, जिससे अपने आप सड़कों की मरम्मत होगी.
अपने देश में सड़कों पर गड्ढा होना या टूटा होना एक आम समस्या है. हर साल इन गड्ढों के कारण लाखों लोगों की सड़क दुर्घटना में मौत होती है. लेकिन अब नेशनल हाइवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआई) सड़कों के लिए ऐसा मैटेरियल इस्तेमाल करने पर विचार कर रही है, जिससे सड़कों के गड्ढे की मरम्मत यानी रिपेयरिंग अपने आप हो जाएगी. जानिए आखिर ये मैटेरियल क्या है और इससे कैसे सड़कों की रिपेयरिंग खुद से हो जाएगी.
सड़क दुर्घटना
सड़कों पर गड्ढा और टूटा होने के कारण हर साल लाखों हादसे होते हैं. सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2022 में 170000 मौतें सड़क हादसों में हुई थी. वहीं गड्ढों के कारण भारत में 4,446 हादसे हुए थे. इन हादसों में 1856 मौते हुई थी. बता दें कि भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा रोड नेटवर्क है.
कैसे होगी खुद से सड़क की मरम्मत
सड़कों को अपनेआप भरने के लिए एसफॉल्ट ब्लेंड नाम के मैटेरियल का इस्तेमाल किया जाएगा. जानकारी के मुताबिक यह स्टील फायबर्स और बिटुमिन का मिश्रण होता है. यह दोनों तत्व मिलकर सड़कों पर गड्ढों को भरने का काम करते हैं. वहीं जब भी सड़क पर गड्ढा बनेगा, तो बिटुमिन उसे भरने के लिए अपना दायरा बढ़ाएगा और स्टील फाइबर उसे भरने में मदद करेगा. वहीं यह दोनों मिलकर इसे मजबूती देंगे. इस तकनीक के जरिए बारिश के मौसम में भी राहत मिलेगी.
सड़कों को मिलेगी मजबूती
बता दें कि इस तकनीक से सड़कों को लम्बे समय के लिए मजबूती मिलेगी. वहीं सरकारा द्वारा बार-बार होने वाले मेंटनेस के कारण लगने वाले पैसों की बचत होगी. सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने साल 2023-24 के बजट में सड़कों की मरम्मत के लिए 2600 करोड़ रुपए आवंटित किए हैं. जानकारी के मुताबिक मंत्रालय इस बजट से सड़कों की मरम्मत करने वाली आधुनिक तकनीकों को खरीदने और विकसित करने पर जोर दे रहा है. सड़कों की अपने आप मरम्मत करने वाले इस एस्फॉल्ट ब्लेंड के जरिए देश की सड़कों के गढ्ढे और दरारें भरने में काफी मदद मिलेगी.
कई देशों में इस तकनीक का इस्तेमाल
बता दें कि नीदरलैंड में एसफॉल्ट का इस्तेमाल किया जा रहा है. इस तकनीक से बनने वाली 12 सड़कें टेस्टिंग फेज में हैं. इसमें से एक सड़क साल 2010 में बनाई गई, जिसका इस्तेमाल किया जा रहा है. वहीं यूनाइटेड किंगडम भी इस तरह की सड़कों को अपने यहां बनाने पर काम कर रहा है. इसके लिए कई यूनिवर्सिटी कंक्रीट को डेवलप करने के लिए रिसर्च भी कर रही हैं.
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