क्या है शैडो बैंकिंग? जिसकी वजह से चीन की भी हो गई हालत खराब
Shadow Banking: दुनिया में जारी मंदी के बीच भारत का विकास तेजी से हो रहा है, इस बीच चीन पर एक बार फिर से शैडो बैंकिंग की संकट मंडराने लगी है. आइए इसके बारे में जानते हैं.
Shadow Banking: कभी दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती इकोनॉमी के रूप में चीन का नाम आता था. आज इस लिस्ट में वह टॉप पर नहीं है, लेकिन फिर भी चर्चा के केंद्र में है. उसके पीछे का कारण है, शैडो बैंकिंग. चीन आज के समय में विश्व की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है. नंबर-1 पर अमेरिका है. आज भारत की रैंकिंग 5वी है. चीन को लेकर दुनिया के बड़े-बड़े अर्थशास्त्री चिंतित है. उनका मानना है कि चीन पर जारी संकट का असर अन्य देशों पर भी देखने को मिल सकता है. आखिर शैडो बैंकिंग का क्या मतलब है, जो सबके लिए चिंता का विषय बन गया है. आज की स्टोरी में हम इसके बारे में जानने की कोशिश करेंगे.
क्या है शैडो बैंकिंग?
शैडों बैंकिंग ने सबसे अधिक रियल एस्टेट सेक्टर को प्रभावित किया है. शैडो बैंकिंग का मतलब है कि कोई गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थान यानि NBFC बैंकिंग सिस्टम के नियम से बाहर निकलकर लोन दे देते हैं. यह लोन बैंक अपने हिसाब से तय किए गए शर्तों के आधार पर देते हैं. यानि वह सरकार और केंद्रीय बैंक द्वारा तय किए सभी नियम को फॉलो नहीं करते हैं. नियम फॉलो किए बगैर लोन देने से बैंक संकट में घिर जाता है.
शैडो बैंकिंग का सबसे पहले इस्तेमाल अमेरिका को लेकर किया गया था. जब 2007 में वहां की बैंकिंग कंपनियों ने आसान शर्तों पर लोन देना शुरू कर दिया था. जिसने 2008 की मंदी में एक बड़ी भूमिका निभाई. शैडो बैंकिंग सीधे इकोनॉमी पर असर करता है. क्योंकि जब किसी देश का बैंकिंग सिस्टम कमजोर होता है तो उसकी अर्थव्यवस्था डमाडोल हो जाती है. कई बार बैंकिंग कंपनियां दिवालिया हो जाती है.
इस सेक्टर पर है बोझ
अभी चीन में दो कंपनियां शैडो बैंकिंग का शिकार होती नजर आ रही है. एक एवरग्रांडे और दूसरी कंट्री गार्डन है. टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले दो दशक में एक दर्जन से अधिक कंपनियां शैडो बैंकिंग की गिरफ्त में आई हैं. चीन का प्रॉपर्टी सेक्टर उसकी अर्थव्यवस्था में एक-चौथाई हिस्सेदारी रखता है. रियल एस्टेट सेक्टर ने कम शर्तों के चलते बैंक से लोन उठाया, अब वह लोन रिपेमेंट करने में असमर्थ नजर आ रहा है. दरअसल, मांग में आई गिरावट के चलते फ्लैट नहीं बिक पा रहे हैं, जिसके चलते प्रॉपर्टी डीलर्स बैंक को पैसा तय समय पर वापस नहीं कर पा रहे हैं. फ्लैट ना बिकने के पीछे का एक सबसे बड़ा कारण फ्लैट की कीमतों का तेजी से बढ़ना है.
कहां से आता है लोन के लिए इतना पैसा
प्रॉपर्टी डेवलपर्स को कहां से सबसे अधिक लोन मिलता है, अगर इसके बारे में हम आपको बताएं तो रियल एस्टेट में चीन में 2.9 ट्रिलियन डॉलर का इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट इंडस्ट्री से आता है. कॉरपोरेट कस्टमर्स और अमीर लोगों का फंड मैनेज करने वाले ट्रस्ट झोंगरॉन्ग के पास 87 बिलियन डॉलर का फंड है. पिछले महीने वह 19 मिलियन डॉलर के फंड को वापस कराने में असफल रही थी.
यह स्थिति हर महीने आंकड़ों में बढ़ती जा रही है. फंड हाउस लोन तो दे दे रहे हैं, लेकिन वह वापस नहीं मिल पा रहा है. चीन की लोकल गवर्नमेंट फाइनेंसिंग व्हीकल्स (LGFVs) का कर्ज तेजी से बढ़ता जा रहा है. चीन की अर्थव्यवस्था को लेकर जारी आईएमएफ की रिपोर्ट के अनुसार, साल 2022 में लोन करीब 7.8 ट्रिलियन डॉलर पर पहुंच गया था.
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