बांग्लादेश में तख्तापटल के बाद स्थिति गंभीर बनती जा रही है. वहीं बांग्लादेश की लेखिका, कार्यकर्ता और डॉक्टर तस्लीमा नसरीन ने कहा है कि शेख हसीना के जाने से कट्टरपंथी इस्लामी संगठनों की पकड़ बांग्लादेश में मजबूत होगी. उन्होंने कहा कि इसका खामियाजा महिलाओं को सबसे ज्यादा भुगतना पड़ेगा. उनका दावा है कि कट्टरपंथी इस्लामी संगठन बांग्लादेश में शरिया कानून लागू करेंगे. आज हम आपको बताएंगे कि अगर बांग्लादेश में शरिया कानून लागू होता है, तो इससे महिलाओं के कौन-कौन से अधिकार खत्म होंगे और उनकी आजादी पर क्या असर पड़ेगा. 


बांग्लादेश


बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद बने माहौल को अच्छा नहीं माना जाता रहा है. शेख हसीना के पीएम पद से हटने और देश छोड़ने के बाद इस्लामिक कट्टरपंथियों के हाथ में सरकार है, शेख हसीना ने जिन कट्टरपंथियों को जेल में डाला था, उन्हें भी अब रिहा किया जा रहा है. गौरतलब है कि लेखिका तस्लीमा नसरीन कई साल से भारत में निर्वासन में रह रही हैं. नसरीन को इस बात का डर है कि आने वाले समय में बांग्लादेश में शरिया कानून लागू होगा और उसका सबसे बुरा असर महिलाओं पर पड़ेगा. 


महिलाओं को नहीं मिलेंगे ये अधिकार 


सबसे पहले जानते हैं कि शरिया क्या है? बता दें कि शरिया इस्लाम की कानूनी प्रणाली है. यह इस्लाम की पवित्र पुस्तक कुरान, तथा सुन्नत और हदीस पैगम्बर मुहम्मद के कार्यों और कथनों से लिया गया है. शरिया कानून या शरीयत में महिलाओं और पुरुषों को अलग-अलग माना गया है. क्‍योंकि शारीरिक रूप से दोनों बराबर नहीं हैं. उसी प्रकार उनके अधिकार दिए गए हैं. अपने अधिकारों को हासिल करने के दौरान महिलाओं के लिए जरूरी है कि वे अपनी मर्यादा और शुचिता की सुरक्षा करें.


महिलाओं की आजादी


जानकारी के मुताबिक शरिया कानून में महिलाओं की शिक्षा पर किसी तरह का रोक नहीं है. लेकिन इस्लामिक कट्टरपंथी शरिया कानून लागू होने के बाद महिलाओं की स्वतंत्रता को खत्म कर देते हैं और उनकी आजादी खत्म हो जाता है. एक्सपर्ट का कहना है कि इस्लामिक कट्टरपंथी शरिया कानून लागू होने के बाद महिलाओं की सुरक्षा का बोलबाला करके उनकी आजादी और अभिव्यक्ति पर रोक लगा देंगे. 


तस्लीमा नसरीन ने क्या कहा


लेखिका नसरीन ने दावा किया कि शरिया कानून लागू होने के बाद महिलाओं को अधिकार ही नहीं मिलेगा. उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में असहिष्णुता बढ़ रही है, अभिव्यक्ति की आजादी नहीं है. उनका दावा है कि मानवाधिकारों का उल्लंघन हो रहा है और शरिया कानून लागू होने के बाद जल्द ही महिलाएं बिना किसी अधिकार के रह जाएंगी. उन्होंने कहा कि शेख हसीना के शासन के दौरान कई संगठन बैन कर दिए गए थे वह फिर सत्ता में आ रहे हैं. 


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