जब भी आप ट्रेन से सफर कर रहे होते हैं, तो आपने रेलवे स्टेशनों पर अनाउंसमेंट जरूर सुनी होंगी. ये ट्रेनों के आवागमन के बारे में होती है. ठीक ऐसा ही एयरपोर्ट पर भी होता है, जहां कई सूचनाएं अनाउंसमेंट के जरिए यात्रियों को दी जाती हैं. हालांकि, कुछ खास एयरपोर्ट ऐसे नहीं होते. इन एयरपोर्ट पर यात्रियाों को कोई भी सूचना बड़ी-बड़ी स्क्रीन या फिर मैसेज के जरिए ही दी जाती है.
ऐसे एयरपोर्ट को साइलेंट एयरपोर्ट कहा जाता है, जहां यात्रियों की भारी संख्या के बावजूद सन्नाटा छाया रहता है. इनमें फ्लाइट के आवागमन, सुरक्षा जांच, बोर्डिंग से लेकर अन्य सभी जानकारी एलईडी पर दर्ज होती हैं, यात्रियों को उसी अनुसार यात्रा करनी होती है. भारत में ऐसे कई एयरपोर्ट हैं, जो साइलेंट एयपोर्ट की लिस्ट में शामिल हैं.
भारत के कई एयरपोर्ट हैं साइलेंट
साइलेंट एयरपोर्ट ज्यादातर वे होते हैं, जहां से इंटरनेशनल फ्लाइट संचालित होती हैं. भारत में दिल्ली, मुंबई, सूरत, लखनऊ, जयपुर, चेन्नई समेत कई एयरपोर्ट हैं, जिन्हें साइलेंट एयरपोर्ट कहा जाता है. अधिकारियों के मुताबिक, इन एयरपोर्ट पर एयरलाइंस कंपनियों की ओर से बैगेज डिलीवरी बेल्ट, फ्लाइट के समय में बदलाव या फिर अन्य कोई अहम जानकारी यात्रियों को मोबाइल पर एमएमएस के जरिए भेजी जाती है. इसके आलवा फ्लाइट के आवागमन की जानकारी एलईडी स्क्रीन के माध्यम से दी जाती है.
इन देशों में हैं साइलेंट एयरपोर्ट
दुनियाभर में साइलेंट एयरपोर्ट का चलन काफी तेजी से बढ़ा है. ऐसे में सिर्फ भारत ही नहीं दुनिया के कई ऐसे हवाईअड्डे हैं जो साइलेंट एयरपोर्ट की श्रेणी में आते हैं. इन एयरपोर्ट का उद्देश्य यात्रियों को शांतिपूर्ण यात्रा का अनुभव प्रदान करना है. दुनिया के कुछ चुनिंदा साइलेंट एयरपोर्ट में दुबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट, लंदन सिटी एयरपोर्ट, नीदरलैंड में एम्सटर्डम शीफॉल एयरपोर्ट, फिनलैंड में हेल्सिंकी एयरपोर्ट, दक्षिण अफ्रीका का केपटाउन इंटरनेशनल एयरपोर्ट, सिंगापुर का चांगी एयरपोर्ट शामिल है.
इमरजेंसी में होता है अनाउंसमेंट
ऐसा नहीं है कि साइलेंट एयरपोर्ट पर किसी तरह की अनाउंसमेंट नहीं होता. इन एयरपोर्ट पर भी अनाउंसमेंट का पूरा इंतजाम होता है. हालांकि, इमरजेंसी में या फिर सुरक्षा से जुड़ी जानकारियां ही अनाउंसमेंट के जरिए ही दी जाती हैं. हालांकि, ऐसा कभी-कभार ही होता है. जिन एयरपोर्ट को साइलेंट एयरपोर्ट की श्रेणी में शामिल किया गया है, वहां शोर के स्तर में 20 से 30 फीसदी कमी दर्ज की गई है.
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