कई बार हमें सोते समय अजीब तरह की चीजों का आभास होता है, जैसे कभी हमें लगता है कि कमरे की दीवारें चारों ओर से सिकुड़ रही हैं और वो हमें जकड़ लेंगी, वहीं कई बार लगता है कि हमारे कमरे में कोई पर्दे के पीछे या फिर हमारे बिस्तर के बिल्कुल आस-पास खड़ा है.


कई बार तो स्थिति ये भी होती है कि आपको लगने लगता है कि कोई आपको दबोचने की कोशिश कर रहा है, इस स्थिति में आप बचने की कोशिश भी करते हैं लेकिन उस समय आपका जिस्म हिल नहीं रहा होता है. आप उस समय चीखने की कोशिश भी करते हैं लेकिन आपके गले से आवाज नहीं निकलती, इस दौरान आपको तेजी से पसीना भी आ सकता है. ये स्थिति सिर्फ आपके साथ नहीं बल्कि कई लोगों के साथ होती है, जिसे भारत में भूत-प्रेतों का साया समझ लिया जाता है, लेकिन विज्ञान में ये कुछ और ही है.


क्या होता है स्लीप पैरालिसिस?


दरअसल जिस स्थिति को हम भूत-प्रेत या बुरी आत्मा का साया समझते हैं वो असल में मेडिकल साइंस में उसे स्लीप पैरालिसिस माना जाता है. डॉक्टर्स के अनुसार, जब हम सोते हैं तो हमारी स्लीप साइकिल के दो हिस्से होते हैं. पहला रैपिड-आई मूवमेंट और दूसरा नॉन-रैपिड-आई मूवमेंट स्लीप.


जब हम आरईएम स्लीप फेज में होते हैं तो उस समय हम सपने देख रहे होते हैं. इस दौरान हमारे ब्रेन सेल्स बॉडी को ऐसे सिग्नल देते हैं कि वो मूव नहीं कर पाए, क्योंकि यदि बॉडी मूव करेगी तो हम हाथ पैर चला सकते हैं. स्लीप पैरालिसिस के दौरान हमारा दिमाग तो जाग जाता है लेकिन हमारा शरीर निंद में होता है. ऐसी स्थिति में निंद खुल जाती है और बॉडी पैरालिसिस हो जाती है, यही अवस्था स्लीप पैरलिसिस कहलाती है.


क्यों होता है स्लीप पैरलिसिस?


डॉक्टरों के मुताबिक स्लीप पैरालिसिस की एक बड़ी वजह नींद का पूरा नहीं होना है. सोने के अनियमित समय और कई बार स्ट्रेस भी इसके पीछे की एक वजह हो सकता है. इससे हमारे शरीर को कोई खतरा नहीं होता, निंद का समय सुधार कर भी आप इसे ठीक कर सकते हैं.


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