Solar Halo: सूरज के चारो तरफ गोला कब और क्यों बनता है और इसे सोलर हालो क्यों कहा जाता है?
चांद के साथ भी ऐसा होता है और इसे हालो ऑफ मून कहा जाता है. कुछ लोग इसे मून रिंग भी कहते हैं. 20 फरवरी 2016 में चांद के साथ ऐसा हुआ था.
प्रयागराज समेत उत्तर भारत के कई जिलों में आज सूरज के चारों तरफ एक गोलाकार घेरा देखने को मिला. यह नजारा बिल्कुल अद्भुत था, लोगों ने इसकी तस्वीरें लीं और सोशल मीडिया पर जमकर शेयर करने लगे. चलिए आज इन सवालों के जवाब जानने की कोशिश करते हैं कि आखिर यह बनता कैसे है और इसे साइंस की भाषा में क्या कहा जाता है? इसके साथ ही हम आपको यह भी बताएंगे कि क्या यह सिर्फ सूरज के साथ ही होता है या चांद के साथ भी कभी ऐसा होता है या फिर कभी ऐसा हुआ है.
सूरज के चारों तरफ प्रकाश का घेरा कब और क्यों बनता है
शुक्रवार की सुबह जब लोग नींद से जगह और आसमान की तरफ देखा तो उन्हें सूरज के चारों तरफ एक प्रकाशमय गोला दिखाई दिया. इसे देखकर सब हैरान थे, जो लोग इसके पीछे की साइंस को नहीं जानते हैं उनके लिए यह नजारा किसी चमत्कार से कम नहीं था. दरअसल, यह एक सामान्य खगोलीय परिघटना है जिसे विज्ञान की भाषा में सोलर हालो या फिर सन रिंग भी कहते हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसा वातावरण में मौजूद हेक्सागोनल क्रिस्टल के कारण होता है. दरअसल जब वातावरण में मौजूद पानी की बूंदों पर प्रकाश पड़ता है तो उसके विकिरण के कारण यह घटना घटती है. कई बार इस गोले में इंद्रधनुष की तरह कई रंग भी दिखाई देते हैं.
क्या चांद के साथ भी ऐसा होता है
हां, चांद के साथ भी ऐसा होता है और इसे हालो ऑफ मून कहा जाता है. कुछ लोग इसे मून रिंग भी कहते हैं. 20 फरवरी 2016 में चांद के साथ ऐसा हुआ था. इत्तेफाक से वह भी शुक्रवार का ही दिन था. उस समय भी लोगों ने इस दृश्य को देखकर कई तरह की प्रतिक्रियाएं दी थीं.
वहीं 20 जुलाई 2015 को भी एक ऐसी ही घटना उत्तराखंड के कुछ इलाकों में देखने को मिली थी. हल्द्वानी, बेतालघाट के लोगों को 20 जुलाई की सुबह सूरज के चारों तरफ एक अद्भुत गोलाकार आकृति दिखाई दी जिसमें इंद्रधनुषी रंग दिखाई दे रहे थे. हालांकि, यह घटना जिस दिन घटी वह दिन रविवार का था. तो अगर आप ऊपर बताई गई दो घटनाओं के दिन को एक साथ जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं तो यह गलत बात है. वह सिर्फ एक इत्तेफाक था और कुछ नहीं.
हालो किसे कहते हैं?
जब किसी प्रकाशमय या एनर्जी से लबरेज चीज के चारों ओर गोलाकार आकृति बन जाए तो उसे हालो कहते हैं. आध्यात्म में भी इसका जिक्र है. आपने कई भगवान की तस्वीरों में देखा होगा कि उनके सिर के पीछे एक चमकदार गोलाकार आकृति दिखती है, उसे भी हालो ही कहा जाता है.
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