BNS 2023: इंडियन पीनल कोड (IPC) भारत में किसी भी प्रकार के अपराध के लिए इसी आईपीसी का इस्तेमाल होता है.  जम्मू कश्मीर में पहले भारतीय दंड संहिता लागू नहीं थी लेकिन जब धारा 370  हटाई गई तब से वहां भी भारतीय दंड संहिता लागू होती है.  हाल ही में भारत में एक नया सिस्टम लागू किया गया है जिसे भारतीय न्याय संहिता 2023 का नाम दिया गया है.  यह नई भारतीय न्याय संहिता 2023 आईपीसी और सीआरपी से किस तरह अलग है आईए जानते हैं. 


क्या है भारतीय न्याय संहिता 2023? 


11 अगस्त 2023 को भारत के गृहमंत्री अमित शाह ने लोकसभा में भारतीय न्याय सभ्यता विधायक 2023 पेश किया था.  इसके बाद संसदीय समिति ने इसकी समीक्षा की आपको बता दें भारतीय न्याय संहिता 2023 इस समय चर्चा का विषय बनी हुई है.  भारतीय न्याय संहिता 2023 पहले से चली आ रही भारतीय दंड संहिता में बदलाव लाती है. 


भारतीय न्याय संहिता 2023 में पुरुष और महिलाओं या ट्रांसपर्सन के बीच जबरदस्ती बनाए गए यौन संबंधों के अपराधों के लिए अलग से कानून बनाने के लिए हैं. जिसे पीड़ितों को जल्द न्याय मिल सके. भारतीय न्याय संहिता 2023 में धारा 124A जो देशद्रोह के लिए थी उसे हटाने की बात कही गई है. रेप के मामलों में इस संहिता के तहत कोर्ट तक ऐसे केस कम पहुंचेंगे पहलए ही उनका निवारण किया जा सकता है.  


IPC और CRPC से कैसे है अलग?


IPC यानी इंडियन पीनल कोड काफी पुराना सिस्टम है. जिसके तहत अपराधी उसी पुरानी प्रक्रिया के तहत कोर्ट तक ले जाया जाता है. जो कि काफी सालों से चली आ रही है लेकिन भारतीय न्याय संहिता 2023 (BNS 2023) अपराध खासतौर पर व्यभिचार (रेप) और शारीरिक शोषण जैसे अपराधों के लिए अलग से कानून निर्धारित करेगी. वहीं CRPC की बात करें तो आपराधिक मामले पहले IPC के तहत दायर होते हैं जब वो कोर्ट में पहुँचते हैं तब वो CRPC (Code of Criminal Procedure) के तहत आगे बढ़ाए जाते हैं। बता दें साल 1973 में ये विधेयक पारित हुआ था वहीं 1974 में इसे लागू किया गया था.